Saturday, July 24, 2010

आखिर जीत गया नगर निगम

जोधपुर. जेडीए खुद की विकसित हुई आधा दर्जन पॉश कॉलोनियां नगर निगम को हस्तांतरित करने पर राजी हो गया है। इसके साथ ही एक अगस्त से सभी 65 वार्डो की संपूर्ण रोड लाइटों का जिम्मा भी निगम को सौंप देगा। हालांकि रोड लाइटों के तकनीकी पहलुओं पर दोनों में सहमति नहीं बनने के बाद अंतिम फैसला कमेटी पर छोड़ दिया गया है।

जेडीए ने गुरुवार को सुभाष नगर व मिल्कमैन कॉलोनी की समस्त दस्तावेज की पत्रावलियां निगम को भेज दी है। भगत की कोठी व भगत की कोठी (विस्तार), सरस्वती नगर व संपूर्ण कच्ची बस्तियों की पत्रावलियां शुक्रवार को सौंपी जाएंगी। राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बावजूद जेडीए के अफसर लंबे समय से इस मसले को अटकाकर बैठे थे। इसके चलते जेडीए के क्षेत्राधिकार वाली आधा दर्जन से ज्यादा विकसित आवासीय कॉलोनियां और 18 हजार से ज्यादा स्ट्रीट लाइटें निगम में हस्तांतरित नहीं हो पा रही थीं।

दोनों निकायों के बीच समझौता नहीं होने से जहां अवैध निर्माणों की संख्या में इजाफा हो रहा था, तो स्ट्रीट लाइटों के रखरखाव करने वाले जेडीए के ठेकेदार भी ‘यह लाइटें हमारी नहीं, निगम की हैं’ की बात कहकर अपनी जिम्मेदारी से भागने लगे थे। नगर निगम में नए बोर्ड के गठन के बाद निगम की आय बढ़ाने के लिए महापौर ने जेडीए की कुछ विकसित कॉलोनियों को निगम में शिफ्ट करने की बात उठाई थी, इस पर मुख्यमंत्री ने सहमति भी दे दी थी।

लगभग पांच माह पूर्व कलेक्टर ने जेडीए व निगम के अफसरों के साथ बैठक कर ऐसी कॉलोनियों को चिह्न्ति करने को कहा था। जेडीए अफसरों ने आधा दर्जन से ज्यादा आवासीय कॉलोनियां को निगम को सौंपने का प्रस्ताव तैयार किया, मगर अफसरों के अड़ियल रवैये के कारण इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन पा रही थी।

इन कॉलोनियों पर हुआ था विचार

दोनों के बीच हुए समझौते में पॉश कॉलोनी शास्त्रीनगर, मानजी का हत्था सहित कमला नेहरू नगर, कीर्तिनगर, सरस्वती नगर व अन्य विकसित कॉलोनियां शामिल हैं, लेकिन जेडीए खुद की कंगाली मिटाने के लिए विकसित कॉलोनियों से होने वाली मोटी आय का मोह नहीं छोड़ पा रहा है।

जेडीए आज भी शहर की पॉश कॉलोनी शास्त्रीनगर, कमला नेहरू नगर, मानजी का हत्था समेत अन्य विकसित हो चुकी कॉलोनियों की पत्रावलियां निगम को सौंपने का राजी नहीं हो रहा है। हाउसिंग बोर्ड व निगम के बीच जुलाई, 2000 में हुए समझौते के तहत हाउसिंग बोर्ड के सेक्टर 10 से 25 निगम को पहले ही सौंपे जा चुके हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार के फैसले के बाद हाउसिंग बोर्ड अपनी शेष आवासीय कॉलोनियों सहित खाली भूखंड व दुकानें भी निगम को हस्तांतरित करने की कवायद में जुटा है।

यह होगा फायदा

जेडीए की कॉलोनियों के निगम में शिफ्ट होने से वह इनका मालिक बन जाएगा। इसके बाद इन कॉलोनियों में भवन निर्माण इजाजत, लीज डीड सहित भूखंडों का विक्रय भी निगम कर सकेगा। पांच फीसदी हस्तांतरण शुल्क (रिजर्व प्राइस का) से भी निगम को बड़ी आय होगी। इससे मुफलिसी के दौर से गुजर रहे निगम का खाली खजाना भरने में काफी मदद मिलेगी।

हालांकि इन कॉलोनियों में निगम के सफाई कर्मचारी ही सफाई करते हैं, लेकिन इन कॉलोनियों का स्वामित्व जेडीए के अधीन होने से वह न तो भवन निर्माण की इजाजत दे पाता है और न ही भूखंडों का बेचान कर पाता है। इस फैसले से अब निगम को इन कॉलोनियों में होने वाले अवैध निर्माण व अतिक्रमण को भी रोकने का अधिकार मिल जाएगा।

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