Friday, July 23, 2010

कलेक्टर का आदेश रद्दी की टोकरी में डाला

जोधपुर. बासनी तंबोलिया के लोगों का दुर्भाग्य है कि पेयजल के वर्षो पुराने संकट से मुक्ति पाने की उनकी कोशिश एक बार फिर पीएचईडी के अफसरों की मनमानी के कारण धरी रह गई। इस क्षेत्र के लिए स्वीकृत वाटर टैंक राजनीति की भेंट चढ़ गया। लोग अपने क्षेत्र में वाटर टैंक बनने का इंतजार ही करते रहे और उन्हें इस बात की भनक तक नहीं लगी कि अब यह कहीं और जगह बनेगा।

जब वाटर टैंक के दूसरी जगह बनने की सूचना मिली तो इन्हें ऐसा लगा कि मानो मुंह में आया निवाला छीन लिया गया। अपने मोहल्ले में पानी का टैंक बनवाने के लिए इन्होंने न जाने कितने जतन किए थे। ये लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए सुबह से शाम तक इंतजार करते हैं। जब पानी की आपूर्ति समय पर नहीं होती तो इन्हें महंगे दामों पर पानी का टैंकर मंगवाना पड़ता है। वार्ड 61 व 62 के बासनी तंबोलिया, भील व जाटाबास क्षेत्र के लोगों ने 4 जून को कलेक्टर को एक प्रार्थना-पत्र दिया।

कलेक्टर ने जन स्वास्थ्य अभियंत्रिकी विभाग, नगर खण्ड द्वितीय के अधिशाषी अभियंता को पत्र क्रमांक विकास /पेयजल 2010/2813 में कहा कि उक्त क्षेत्र में एक माह से पानी की आपूर्ति नियमित नहीं हो रही है, अत: प्राथमिकता के आधार पर इस समस्या का निदान करवाएं। इसे एक माह से भी ज्यादा समय हो गया है लेकिन अभी तक संकट जस का तस है। इस समस्या का निदान न होने पर क्षेत्रवासी दुबारा कलेक्टर कार्यालय गए। वहां से एक बार फिर 4 जून के पत्र का हवाला देते हुए पत्र क्रमांक: विकास /2010/3228 से दुबारा पीएचईडी के अफसरों को आदेश दिया, लेकिन यह आदेश भी रद्दी में डाल दिया गया।

पीएचईडी के अफसरों ने कलेक्टर कार्यालय से जारी आदेशों की प्रतियों को टेबलों पर रखी फाइलों में दबा दिया और इधर लोगों के कंठ सूखे हुए हैं। अब वे कलेक्टर कार्यालय के आदेशों की कॉपी लिए हुए कभी कलेक्टर कार्यालय तो कभी पीएचईडी के अफसरों के आगे-पीछे घूम रहे हैं। जाटाबास व भील बस्ती में करीब सौ घर हैं। इनमें से कुछ घर ऊंचाई वाले इलाके में स्थित होने के कारण वहां पानी पहुंच नहीं पाता।

No comments:

Post a Comment