Saturday, June 26, 2010

52 घंटे बाद टूटा गतिरोध

जोधपुर. चांदपोल के ज्वैलर राजेंद्र सोनी की मौत के करीब 52 घंटे बाद आखिरकार गुरुवार देर रात 1:35 बजे उसका अंतिम संस्कार हो सका।

उसकी मंगलवार रात नौ बजे बीकानेर में न्यायिक अभिरक्षा के दौरान मौत हो गई थी। जोधपुर लाने के बाद पहले सोलह घंटे तक शव एंबुलेंस में पड़ा रहा। बाद में चांदपोल श्मशान पर मेडिकल टीम ने शव की जांच की। इस बीच कुछ लोग अंतिम संस्कार के लिए राजी हो गए, तो कुछ लोगों ने इसका विरोध किया जिससे फिर गतिरोध की स्थिति बन गई। बाद में परिवार जनों ने समाज बंधुओं की सहमति से अंतिम संस्कार का फैसला किया।

देर रात तक चला गतिरोध

चांदपोल निवासी ज्वैलर राजेन्द्र सोनी का शव पहले तो सोलह घंटे तक उसके घर के बाहर एंबुलेंस में पड़ा रहा। शाम साढ़े छह बजे उसी गाड़ी से शव चांदपोल स्थित श्मशान गृह पहुंचाया गया। वहां देर रात तक चले गतिरोध के बाद करीब 1 बजे अंतिम संस्कार शुरू हो पाया। इससे पूर्व श्मशान में शव की हालत देख लोग भड़क गए और अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया। रात पौने दस बजे मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद माथुर, सीएमएचओ रमेश माथुर, फोरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. एचएल बैरवा, पैथोलॉजी विभाग के कमलेश पुरोहित की टीम को श्मशान घाट बुलवा कर शव की जांच व वीडियो रिकॉर्डिग पर सहमति बनी, उन्होंने शव की जांच की।

गुरुवार सुबह समाज के लोगों की एडीएम सिटी, सूरसागर विधायक व एएसपी के साथ राजेंद्र के निवास के बाहर वार्ता में कोई निर्णय नहीं हो पाया। दुबारा पोस्टमार्टम के साथ लोग अन्य मांगों पर अड़े रहे। दोपहर बाद समाज के लोग कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। यहां दो दौर की बातचीत के बाद गणमान्य लोग आश्वस्त होकर चांदपोल लौट आए। इस बीच चंद अति उत्साही युवकों ने हंगामा शुरू कर दिया। माता का कुंड क्षेत्र में इन युवकों ने पुलिस, प्रशासन व सरकार के विरोध में नारे लगाए।

राजेन्द्र सोनी का शव बुधवार देर रात करीब दो बजे जोधपुर पहुंचा। शव घर के बाहर एंबुलेंस में ही रहा। रातभर पुलिस व प्रशासन के अधिकारी यहां डेरा डाले रहे। सुबह एडीएम सिटी व एएसपी माता का कुंड क्षेत्र में पहुंचे। गहमा-गहमी के दौरान अतिउत्साही युवकों ने पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को खरी-खोटी सुनाई। अधिकारियों ने संयम बनाए रखा।

बाद में राजेंद्र सोनी के पुत्रों व बहन ने समाज के लोगों से कहा कि वे पहले अंतिम संस्कार होने दें, उसके बाद इस संबंध में उचित तरीके से प्रशासन से बात करके इसका समाधान करवाएं। इसके बाद एंबुलेंस में रखा शव सीधे श्मशान पहुंचाया गया, लेकिन वहां शव को देखकर कुछ लोगों ने सवाल उठाए और अंतिम संस्कार नहीं होने दिया। देर रात 1 बजे पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारियों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार शुरू हो पाया। इसके बाद वहां भीड़ भी छंट गई।

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