Sunday, June 27, 2010

निजी से पिछड़ी सरकारी पाठशाला

जोधपुर. सरकारी स्कूल दसवीं की मेरिट में निजी विद्यालयों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं। पिछले पांच साल में हर बार सरकारी स्कूल के महज दो या तीन विद्यार्थी जगह बना पा रहे हैं। जोधपुर का हाल तो और भी बुरा है। इस बार जहां टॉप 15 की मेरिट में प्रदेश के 81 बच्चे आएं हैं, उनमें जोधपुर के निजी स्कूलों के पांच बच्चों ने स्थान बनाया है। सरकारी स्कूल का एक भी बच्च इसमें नहीं है।
वर्ष 2006 से 2010 तक टॉप 15 में कुल 384 बच्चे आए। इनमें से सरकारी स्कूलों के सिर्फ 23 बच्चे थे। शेष 358 बच्चे निजी स्कूलों के रहे। इन पांच साल में जोधपुर से सरकारी स्कूल का एक भी बच्च मेरिट में स्थान नहीं बना पाया। सरकारी स्कूलों में बीएड, एमएड प्रशिक्षित शिक्षक होने के बावजूद ये हालात हैं।

निजी स्कूल ले जाते हैं सत्रांक का लाभ

बोर्ड की 20 अंकों की सत्रांक योजना का लाभ सबसे अधिक निजी स्कूलों के संचालक उठा रहे हैं। वे सत्रांक की आड़ में अधिक से अधिक अंक बोर्ड को भेज रहे हैं। सरकार के पास संसाधनों की कमी है। उपलब्ध संसाधनों का सही उपयोग नहीं होने से रिजल्ट हर साल गिरता है। हालांकि पिछले साल सत्रांक के नंबर बढ़ने से रिजल्ट स्तर बढ़ा है। इससे पहले हालत ज्यादा खराब थी। - शंभूसिंह मेड़तिया, जिलाध्यक्ष, राजस्थान पंचायतीराज कर्मचारी संघ

वर्ष 2005—06
पंजीकरण 7,74,106
परीक्षा में बैठे 7,41,385
सफल 3,66,903
परिणाम 49.49 प्रतिशत
छात्र 49.28 तथा छात्राएं 49.92 प्रतिशत।
टॉप 15 में 66 बच्चे, सरकारी स्कूल के 4

वर्ष 2006—07
पंजीकरण 7,87,299
परीक्षा में बैठे 7,56,330
सफल 3 लाख
परिणाम 45.25 प्रतिशत
छात्र 45.61 तथा छात्राएं 44.55 प्रतिशत
टॉप 15 में 30 में से सरकारी स्कूल के 3

वर्ष 2007—08
पंजीकरण 8,81,740
सफल 4,71,282
परिणाम 53.45 प्रतिशत
टॉप 15 में 51 में सरकारी स्कूल के 2

वर्ष 2008—09
पंजीकरण 10,1,251
परीक्षा में बैठे 9,74,138
सफल 7,12,138
परिणाम 73.15 प्रतिशत
छात्राएं 73.39 तथा छात्र 73.02 प्रतिशत
टॉप 15 में 81 में से सरकारी स्कूल के 6

वर्ष 2009—10
पंजीकरण 9,44,000
परीक्षा में बैठे 9,10,780
सफल 6,69,782
परिणाम 73.54 प्रतिशत
छात्र 73.84 तथा छात्राएं 73.03 प्रतिशत
टॉप 15 में 81 में सरकारी स्कूल के 4

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