Tuesday, July 27, 2010

गंगलाव के 90 मकानों की नींव पानी में

जोधपुर. जिला प्रशासन व नगर निगम अतिवृष्टि जैसी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने के भले ही लाख दावे करें, लेकिन हालात इसके उलट है। पारंपरिक जलस्रोत गंगलाव तालाब के दायरे में आबाद 5 सौ से ज्यादा लोग खतरे की जद में हैं। इस तालाब में बने अधिकांश मकान जर्जर हो चुके हैं।

फिर भी इनमें लोग रह रहे हैं। भास्कर ने मूसलाधार बारिश के बाद सोमवार को गंगलाव तालाब की हकीकत जानी तो ऐसे ही हालात दिखे। करीब 9क् मकानों की नींव पानी में डूबी रहने से कमजोर हो चुकी है। कुछ मकानों में सीलन पहली मंजिल तक पहुंच गई है। प्रशासन और यहां रहने वालों ने समय रहते कोई सही फैसला नहीं किया तो ये घर किसी दिन तालाब में डूब सकते हैं।

तालाब में बने जर्जर मकानों के बारे में सख्त कदम नहीं उठाया गया तो ये मकान हादसों की वजह बन सकते हैं। दो साल पहले गंगलाव तालाब में बने जर्जर मकान ध्वस्त होने से मलबे में तीन लोग जिंदा दफन हो गए थे। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया, लेकिन फिर इन पर समय की धूल छा गई। हाईकोर्ट के आदेश की पालना में नगर निगम ने दो साल पहले तालाब के किनारे बने आधा दर्जन निर्माण पर बुलडोजर चलाया था, लेकिन लोग अब भी बेखौफ निर्माण कर रहे हैं।

रोक के बावजूद बना दिए पट्टे

राज्य सरकार की घोषणा के बाद 8-9 लोगों ने निगम कार्मिकों की मिलीभगत से गुपचुप पट्टे जारी करवा लिए, लेकिन 70-80 कब्जों के नियमन का अटका हुआ है। ये अवैध मकान तालाब की दलदली जमीन पर बने हैं, जो एक मूसलाधार बारिश में मलबा बन सकते हैं। निगम ने चार वर्ष पूर्व सर्वे कर कुछ अवैध निर्माण तोड़े थे, मगर बाद में चुप्पी साध ली थी। निगम प्रशासन ने सिंचाई विभाग से इसका मूल पट्टा निकलवाने की कोशिश की, लेकिन यह काम भी अंजाम तक नहीं पहुंचा।

चुपचाप निर्माण करवा लेते हैं लोग

प्रशासन शहरों के अभियान में कुछ लोगों ने गुपचुप नियमन करवा लिया था, लेकिन बाकी का नियमन रोक दिया गया। अवैध निर्माण रोकने के लिए कई बार अतिक्रमण निरोधक दस्ता मौके पर भेजा जाता है, लेकिन लोग गुपचुप निर्माण पूरा कर लेते हैं। कैचमेंट इलाके में बनाए कुछ निर्माण हटाए भी गए, लेकिन ऐसे निर्माण हटाने पर कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने का अंदेशा भी रहता है। - ताराचंद गोसाई, सूरसागर आयुक्त

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