Tuesday, July 6, 2010

संकट में मारवाड़ का हिरण

जोधपुर. मानसून की बेरुखी और सरकार की उदासीनता से राज्य वन्यजीव चिंकारा और रेड डाटा बुक में दर्ज काले हिरण पर संकट छा गया है। भीषण गर्मी के दौर में तीन माह में मारवाड़ में एक हजार से ज्यादा हिरण मौत के मुंह में समा चुके हैं। अधिकांश हिरण प्यासे मर गए।

कई हिरण पानी की तलाश में भटकते हादसों का शिकार हो गए तो बहुत से कमजोरी के कारण कुत्तों का निवाला बन गए। अफसरों के खिलाफ जांच की महज खानापूर्ति ही की जा रही है जबकि हिरणों के कंकाल से भरी गाड़ी कलेक्ट्रेट में लाने पर पुलिसकर्मियों पर निलंबन की गाज गिर गई।

चूरू के तालछापर और बाड़मेर के चवा गांव के बाद दो माह के भीतर प्रदेश में हिरणों की मौत का सबसे बड़ा मामला जोधपुर में सामने आया है जहां एक पखवाड़े में ही पांच सौ हिरण मर गए। तीन माह में मारवाड़ में एक हजार से ज्यादा चिंकारों व कृष्ण मृग की मौत हुई है। वन विभाग के पास महज रेस्क्यू सेंटर में मरने वालों का ही आंकड़ा है। मई में हुई गणना में 5660 हिरण बताए गए थे। इसके बाद पांच सौ हिरणों ने दम तोड़ दिया।

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