Thursday, July 8, 2010

हिरणों को बचाने के लिए अब कुत्तों के पीछे दौड

जोधपुर. जिले के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में हिरणों को बचाने के लिए प्रशासन ने अब कुत्तों के पीछे दौड़ लगाना शुरू कर दिया है। इसी कवायद में बुधवार को भाचरना व गुढ़ा विश्नोईया गांव और आसपास के क्षेत्रों से 70 कुत्तों को पकड़ा गया। उधर, मानसून की बरसात के कारण वन्यजीव बहुल क्षेत्रों में बनी नाडियों आदि में पानी की अच्छी आवक होने से वन विभाग व प्रशासन ने थोड़ी राहत की सांस ली है।

गौरतलब है कि जिले में पिछले कुछ दिनों में सैकड़ों हिरण भूख-प्यास व कुत्तों का शिकार होकर काल का ग्रास बन गए। एक हजार से ज्यादा हिरणों की मौत के बाद प्रशासन ने बुधवार को भाचरना, खेजड़ली और गुढ़ा-विश्नोईया गांव में ग्रामीणों के साथ बातचीत की। राजकीय प्राथमिक विद्यालय ढेढ़ी नाडी पंचायत भाचरना में विधायक मलखानसिंह विश्नोई की अध्यक्षता में हुई बैठक में ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ रोष जताते हुए डीएफओ को हटाने की मांग की।

एडीएम हरजीलाल अटल व मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) मोहनलाल मीणा ने ग्रामीण इलाकों में हिरणों को बचाने के लिए आवारा कुत्तों पर लगाम कसने की बात कही और उन्हें पकड़ने में ग्रामीणों से सहयोग मांगा। इस पर ग्रामीणों ने एकमत होकर सहयोग करने की बात कहीं। बैठक के दौरान लूणी के एसडीएम अनवर अली खां, सहायक वन संरक्षक रमेश चौपड़ा, पूर्व सरपंच मंगलाराम, सरपंच चंद्र कंवर, के साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे। करीब एक घंटे तक बैठक चलने के बाद कुत्तों को पकड़ने की कार्रवाई शुरू हो गई।

पसीने छूट गए कर्मचारियों के

कलेक्टर नवीन महाजन की विशेष स्वीकृति के बाद गुढ़ा- विश्नोइया और भाचरना क्षेत्र में कुत्तों को पकड़ने की कार्रवाई शुरू हो गई। हाथों में जाल लेकर कुत्तों के पीछे-पीछे दौड़ने में कर्मचारियों और ग्रामीणों के पसीने छूट गए। गुढ़ा और भाचरना में शाम तक करीब 70 कुत्तों को पकड़ लिया गया। उपवन संरक्षक (वन्यजीव) राजीव जुगतावत ने बताया कि भाचरना में नगर निगम और गुढ़ा-विश्नोईया में मारवाड़ पशु संरक्षण ट्रस्ट की छह डॉग स्क्वायड टीमों को लगाया गया। ये टीमें एक महीने तक वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्र में ग्रामीणों के सहयोग से कुत्तों को पकड़ने की कार्रवाई करेंगी।

हिरणों का स्मारक बनाने की मांग

अधिकारियों से बातचीत के दौरान ग्रामीणों ने ढेढ़ी नाडी पर हिरणों का स्मारक बनाने की मांग की। इस पर ग्रामीण एक बार तो अपनी बात पर अड़ गए। अधिकारियों ने स्मारक पर करीब तीन लाख रुपए खर्च होने की बात कही। फिर विधायक मलखानसिंह विश्नोई ने ग्रामीणों को समझाते हुए यह राशि हिरणों के संरक्षण पर खर्च करने की बात कही। विधायक ने कहा कि खेजड़ली व लूणी में दो रेस्क्यू सेंटर खुलने से घायल होने वाले वन्यजीवों का तुरंत उपचार हो जाएगा।

किस्मत ने दिया साथ

वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्रों भाचरना की ढेढ़ी नाडी, फींच, धवा-डोली, गुढ़ा विश्नोईया और खेजड़ली में नाडियों में बरसाती पानी की आवक देखकर अधिकारियों की बांछें खिल उठी। यहां वन्यजीव पानी पीते देखे गए। वन विभाग के अधिकारियों ने बुधवार को वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्रों में नाडियों व तालाबों में पानी की स्थिति पर रिपोर्ट तैयार की। यह रिपोर्ट जिला कलेक्टर व राज्य सरकार को भेजी जाएगी।

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