जोधपुर. थैलीसीमिया पीड़ितों के एचआईवी और एचसीवी जैसे खतरनाक रोगों की चपेट में आने की प्रमुख वजह संक्रमित खून का चढ़ना है। ब्लड बैंकों में गाहे-ब-गाहे संक्रमित खून आता है। वर्तमान पद्धति में इसकी पुख्ता जांच व्यवस्था नहीं है।
एलिजा टेस्ट से केवल उसी रक्त में संक्रमण की पुष्टि हो सकती है, जिसमें एचआईवी, एचसीवी और एचबीवी जैसी बीमारियों के विषाणु परिपक्व होते हैं। तीन से चार सप्ताह से कम समय के ताजा संक्रमण की जांच एलिजा में संभव नहीं है। उम्मेद अस्पताल के ब्लड बैंक में वर्ष 2008 और 09 में विभिन्न माध्यमों से आए 19 हजार से अधिक यूनिट खून में से साढ़े पांच सौ से अधिक यूनिट खून जांच में संक्रमित निकला।
यह आंकड़ा जनवरी में पहली बार थैलीसीमिया पीड़ितों के एचआईवी और एचसीवी से पीड़ित होने के खुलासे के बाद ब्लड बैंक प्रबंधन की ओर से राज्य स्तर पर गठित जांच समिति को उपलब्ध करवाया गया था। खास बात तो यह है कि जब उम्मेद अस्पताल में इतना संक्रमित रक्त आ रहा है तो दूसरे ब्लड बैंकों के क्या हाल होंगे?
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Thursday, July 15, 2010
दरें बढ़ा दीं पर सुविधाएं नहीं
जोधपुर. शहर में जेडीए ने योजना व गैर योजना क्षेत्रों में आबंटित किए जाने वाले भूखंडों के दाम बढ़ा दिए हैं। दूसरी ओर पिछले पांच सालों में जमीनों की डीएलसी दरें भी 10 गुना तक बढ़ गईं हैं, लेकिन कई इलाकों में जमीन के लाखों रुपए चुकाने के बावजूद मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं।
कई कॉलोनियां बसे तो बरसों बीत गए, लेकिन वहां न तो पानी की लाइन बिछी और न ही सड़कें बनीं। दरअसल अन्य शहरों की तुलना में जोधपुर में पानी की भरपूर उपलब्धता के कारण पिछले पांच-सात सालों में शहर बीस किलोमीटर के दायरे में फैल गया। इसके साथ ही एम्स, आईआईटी और इंटरनेशनल एयरपोर्ट जैसे प्रोजेक्ट आने के कारण जमीनों में निवेश भी बढ़ा। इस वजह से कीमतों में उछाल आया। इसका फायदा उठाकर जिला प्रशासन ने भी डीएलसी दरें दस गुना तक बढ़ा दी। इससे सरकार को तो करोड़ों रुपए की आय हो रही है, ज्यादातर कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं का विस्तार नहीं हुआ।
पाल-पाली रोड
पानी की भरपूर उपलब्धता के कारण बाहरी कॉलोनाइजर्स भी जोधपुर की ओर आकर्षित हुए हैं। पाली रोड व पाल रोड पर नई टाउनशिप व कॉलोनियां बस गईं। पांच सालों में स्थिति यह हो गई कि दस गुना दरों पर भी इन क्षेत्रों में जमीन नहीं मिल रही है। सरकार को रजिस्ट्रियों के माध्यम से करोड़ों रुपए का राजस्व मिल रहा है, मगर शहर के बाहर बसी कई कॉलोनियों में पानी की लाइनें नहीं पहुंची।
एम्स क्षेत्र
काजरी परिसर में एम्स की स्थापना की चर्चाओं के दौरान ही इस क्षेत्र की जमीनों के भाव बढ़ गए थे। एम्स का काम शुरू होने के बाद तो यहां के भाव आसमान पर पहुंच गए। पाली व पाल रोड के बीच स्थित इस एरिया की डीएलसी दरें भी सैकड़ों से हजारों पर पहुंच गई। नहर के पास बासनी औद्योगिक क्षेत्र में आलीशान कॉलोनियां बन गईं, मगर इन कॉलोनियों में सीवरेज तथा संपर्क सड़कें नहीं है।
आईआईटी एरिया
पाली रोड व पाल रोड पर कई कॉलोनियां बनने के कारण जमीनों की कीमतें बढ़ी, तो नागौर रोड के भाव आईआईटी व एअरपोर्ट प्रोजेक्ट ने बढ़ा दिए। इस रोड पर हालात ये हैं कि पीने का पानी भी टैंकरों से मंगवाना पड़ता है। मंडोर रेलवे स्टेशन के आगे तो पानी की लाइन तक नहीं है। इसी तरह जयपुर रोड पर डांगियावास तक निजी इंस्टीट्यूट व कॉलोनियां विकसित हो गई, लेकिन पीने का पानी भी नहीं पंहुचा पाया है।
कई कॉलोनियां बसे तो बरसों बीत गए, लेकिन वहां न तो पानी की लाइन बिछी और न ही सड़कें बनीं। दरअसल अन्य शहरों की तुलना में जोधपुर में पानी की भरपूर उपलब्धता के कारण पिछले पांच-सात सालों में शहर बीस किलोमीटर के दायरे में फैल गया। इसके साथ ही एम्स, आईआईटी और इंटरनेशनल एयरपोर्ट जैसे प्रोजेक्ट आने के कारण जमीनों में निवेश भी बढ़ा। इस वजह से कीमतों में उछाल आया। इसका फायदा उठाकर जिला प्रशासन ने भी डीएलसी दरें दस गुना तक बढ़ा दी। इससे सरकार को तो करोड़ों रुपए की आय हो रही है, ज्यादातर कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं का विस्तार नहीं हुआ।
पाल-पाली रोड
पानी की भरपूर उपलब्धता के कारण बाहरी कॉलोनाइजर्स भी जोधपुर की ओर आकर्षित हुए हैं। पाली रोड व पाल रोड पर नई टाउनशिप व कॉलोनियां बस गईं। पांच सालों में स्थिति यह हो गई कि दस गुना दरों पर भी इन क्षेत्रों में जमीन नहीं मिल रही है। सरकार को रजिस्ट्रियों के माध्यम से करोड़ों रुपए का राजस्व मिल रहा है, मगर शहर के बाहर बसी कई कॉलोनियों में पानी की लाइनें नहीं पहुंची।
एम्स क्षेत्र
काजरी परिसर में एम्स की स्थापना की चर्चाओं के दौरान ही इस क्षेत्र की जमीनों के भाव बढ़ गए थे। एम्स का काम शुरू होने के बाद तो यहां के भाव आसमान पर पहुंच गए। पाली व पाल रोड के बीच स्थित इस एरिया की डीएलसी दरें भी सैकड़ों से हजारों पर पहुंच गई। नहर के पास बासनी औद्योगिक क्षेत्र में आलीशान कॉलोनियां बन गईं, मगर इन कॉलोनियों में सीवरेज तथा संपर्क सड़कें नहीं है।
आईआईटी एरिया
पाली रोड व पाल रोड पर कई कॉलोनियां बनने के कारण जमीनों की कीमतें बढ़ी, तो नागौर रोड के भाव आईआईटी व एअरपोर्ट प्रोजेक्ट ने बढ़ा दिए। इस रोड पर हालात ये हैं कि पीने का पानी भी टैंकरों से मंगवाना पड़ता है। मंडोर रेलवे स्टेशन के आगे तो पानी की लाइन तक नहीं है। इसी तरह जयपुर रोड पर डांगियावास तक निजी इंस्टीट्यूट व कॉलोनियां विकसित हो गई, लेकिन पीने का पानी भी नहीं पंहुचा पाया है।
Wednesday, July 14, 2010
जोधपुर का प्रतिनिधित्व घटा
जोधपुर. प्रदेश भाजपा की मंगलवार को घोषित कार्यकारिणी में जोधपुर का प्रतिनिधित्व कम हो गया है। पूर्व की कार्यकारिणी में तीन जनों को मौका दिया गया था। इस बार जोधपुर को महज एक पद मिला है। फलोदी से विधानसभा चुनाव हारने वाले पब्बाराम विश्नोई को प्रदेश मंत्री बनाया गया है।
पिछली कार्यकारिणी में विधायक सूर्यकांता व्यास व नारायणराम बेड़ा को उपाध्यक्ष एवं विधायक कैलाश भंसाली को कोषाध्यक्ष बनाया गया था। बेड़ा ओसियां से चुनाव हारे हुए हैं लेकिन उन्हें इस बार मौका नहीं दिया गया। इस संबंध में शहर विधायक कैलाश भंसाली ने कहा कि हम तो संगठन से जुड़े हैं।
संगठन से जुड़े लोगों के लिए प्रतिनिधित्व कम या ज्यादा होने का असर नहीं पड़ता। लेकिन जोधपुर शहर के कार्यकर्ताओं में इससे निराशा हो सकती है। वैसे प्रतिनिधित्व सहमति के बाद ही दिया गया होगा। शहर जिलाध्यक्ष नारायण पंचारिया का कहना है कि कार्यकारिणी में प्रतिनिधित्व घटने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। संगठन के लोग हमेशा संगठन से जुड़े रहते हैं।
पिछली कार्यकारिणी में विधायक सूर्यकांता व्यास व नारायणराम बेड़ा को उपाध्यक्ष एवं विधायक कैलाश भंसाली को कोषाध्यक्ष बनाया गया था। बेड़ा ओसियां से चुनाव हारे हुए हैं लेकिन उन्हें इस बार मौका नहीं दिया गया। इस संबंध में शहर विधायक कैलाश भंसाली ने कहा कि हम तो संगठन से जुड़े हैं।
संगठन से जुड़े लोगों के लिए प्रतिनिधित्व कम या ज्यादा होने का असर नहीं पड़ता। लेकिन जोधपुर शहर के कार्यकर्ताओं में इससे निराशा हो सकती है। वैसे प्रतिनिधित्व सहमति के बाद ही दिया गया होगा। शहर जिलाध्यक्ष नारायण पंचारिया का कहना है कि कार्यकारिणी में प्रतिनिधित्व घटने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। संगठन के लोग हमेशा संगठन से जुड़े रहते हैं।
दस लाख से महंगा घर, तो पंजीयन जरूरी
जोधपुर. दस लाख या इससे अधिक लागत से भवन निर्माण करवाने वाले बिल्डरों, मकान मालिकों, सरकारी एवं निजी संस्थानों को अब निर्माण से पहले श्रम विभाग में अनिवार्य रूप से पंजीयन कराना होगा।
यदि निर्माण कार्य पर दस या इससे अधिक श्रमिक हैं, तो उन्हें भी रजिस्ट्रेशन करा अपना पहचान पत्र प्राप्त करना होगा। इस बारे में केंद्र व राज्य सरकार ने श्रम विभाग को भवन एवं अन्य सह निर्माण कर्मकार नियोजन एवं सेवारत विनियम एक्ट की सख्ती से पालना करवाने के निर्देश दिए हैं। एक्ट के तहत भवन निर्माता को निर्माण लागत की एक प्रतिशत राशि सेस के रूप में श्रम विभाग में जमा करवानी होगी।
श्रमिकों के बनेंगे आई कार्ड
भवन निर्माण में लगे ऐसे श्रमिक जिन्हें कार्य करते 90 दिन या इससे अधिक समय हो गया है, उन्हें श्रम विभाग में 25 रुपए नकद देकर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। विभाग उन्हें परिचय पत्र देगा। इससे कई फायदे होंगे।
ये आएंगे दायरे में
भवन, सड़क, रेलवे, हवाई क्षेत्र, सिंचाई, बिजली, परिवहन, पानी व पुल संबंधित निर्माण, मरम्मत व रखरखाव कार्य। रेडियो, टीवी, टेलीफोन जैसे संचार माध्यम व पाइप लाइन जैसे कार्यो का निर्माण, परिवर्तन, मरम्मत, रखरखाव संबंधित कार्य।
बैठक में विचार-विमर्श
जिला प्रशासन व श्रम विभाग ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभागार में संयुक्त बैठक आयोजित कर इस एक्ट को लागू करवाने पर चर्चा की। अपर कलेक्टर द्वितीय हरजीलाल अटल की अध्यक्षता में हुई बैठक में संभागीय सहायक श्रम आयुक्त राकेश थानवीने कहा कि इसे लागू नहीं करने पर बिल्डर व भवन मालिक को दंडित किया जा सकता है।
क्या फायदा होगा
श्रमिक के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में तत्काल सहायता मिलेगी। श्रमिक की 60 वर्ष या इससे अधिक आयु होने पर पेंशन, स्वयं की मृत्यु होने पर पत्नी को पेंशन, आवास ऋण, बच्चों की शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता।
जेडीए, निगम को दिए निर्देश
यदि निर्माण कार्य पर दस या इससे अधिक श्रमिक हैं, तो उन्हें भी रजिस्ट्रेशन करा अपना पहचान पत्र प्राप्त करना होगा। इस बारे में केंद्र व राज्य सरकार ने श्रम विभाग को भवन एवं अन्य सह निर्माण कर्मकार नियोजन एवं सेवारत विनियम एक्ट की सख्ती से पालना करवाने के निर्देश दिए हैं। एक्ट के तहत भवन निर्माता को निर्माण लागत की एक प्रतिशत राशि सेस के रूप में श्रम विभाग में जमा करवानी होगी।
श्रमिकों के बनेंगे आई कार्ड
भवन निर्माण में लगे ऐसे श्रमिक जिन्हें कार्य करते 90 दिन या इससे अधिक समय हो गया है, उन्हें श्रम विभाग में 25 रुपए नकद देकर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। विभाग उन्हें परिचय पत्र देगा। इससे कई फायदे होंगे।
ये आएंगे दायरे में
भवन, सड़क, रेलवे, हवाई क्षेत्र, सिंचाई, बिजली, परिवहन, पानी व पुल संबंधित निर्माण, मरम्मत व रखरखाव कार्य। रेडियो, टीवी, टेलीफोन जैसे संचार माध्यम व पाइप लाइन जैसे कार्यो का निर्माण, परिवर्तन, मरम्मत, रखरखाव संबंधित कार्य।
बैठक में विचार-विमर्श
जिला प्रशासन व श्रम विभाग ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभागार में संयुक्त बैठक आयोजित कर इस एक्ट को लागू करवाने पर चर्चा की। अपर कलेक्टर द्वितीय हरजीलाल अटल की अध्यक्षता में हुई बैठक में संभागीय सहायक श्रम आयुक्त राकेश थानवीने कहा कि इसे लागू नहीं करने पर बिल्डर व भवन मालिक को दंडित किया जा सकता है।
क्या फायदा होगा
श्रमिक के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में तत्काल सहायता मिलेगी। श्रमिक की 60 वर्ष या इससे अधिक आयु होने पर पेंशन, स्वयं की मृत्यु होने पर पत्नी को पेंशन, आवास ऋण, बच्चों की शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता।
जेडीए, निगम को दिए निर्देश
कांच से कवर होगा क्लॉक टॉवर(घंटाघर)
जोधपुर. सात समंदर पार से आने वाले सैलानियों की पहली पसंद बन चुके क्लॉक टॉवर (घंटाघर) को कांच से कवर किया जाएगा। सुमेर मार्केट (घंटाघर) के दरवाजों की मरम्मत करवाकर रात में इन्हें बंद किया जाएगा। यह फैसला मंगलवार को नगर निगम की मार्केटिंग कमेटी की बैठक में लिया गया।
कमेटी अध्यक्ष रामसिंह सांजू की अध्यक्षता में चार घंटे तक चली बैठक में घंटाघर बाजार में फिल्म की शूटिंग करने वाली यूनिट से अब 50 हजार रुपए प्रतिदिन वसूलने का निर्णय लिया गया। अब तक निगम 25 हजार रुपए प्रतिदिन ले रहा था। राजस्थानी फिल्म की शूटिंग करने वाली यूनिट से आधी राशि ही वसूलने का निर्णय लिया है। क्लॉक टॉवर या इसके बाजार की दुकानों की छत पर शूटिंग का किराया नहीं बढ़ाया गया। निगम इसका एक लाख रुपए किराया लेता है।
सुमेर मार्केट के दरवाजे रात में होंगे बंद
सूर्यनगरी की धरोहर के रूप में पहचान बना चुके क्लॉक टॉवर की मरम्मत करके उसके चारों तरफ कांच लगाकर कवर करने का फैसला लिया गया है। इसके पीछे क्लॉक टॉवर का सौंदर्य बढ़ाना है। सुमेर मार्केट में सफाई व्यवस्था सुचारु करने और आगे अतिक्रमण नहीं हो, ऐसी व्यवस्था करने का भी निर्णय लिया गया।
अग्निहादसों पर संबंधित संस्थाओं को एनओसी देने की दरें निर्धारित करने के प्रस्ताव पर चर्चा की गई। घंटाघर की दुकानों से मोटी कमाई करने के लिए दुकानों को लीज या किराए पर देने के बारे में भी चर्चा की, लेकिन इस मामले पर सामूहिक चर्चा के बाद ही कोई सर्वसम्मत निर्णय लेने का फैसला लिया गया।
कमेटी अध्यक्ष रामसिंह सांजू की अध्यक्षता में चार घंटे तक चली बैठक में घंटाघर बाजार में फिल्म की शूटिंग करने वाली यूनिट से अब 50 हजार रुपए प्रतिदिन वसूलने का निर्णय लिया गया। अब तक निगम 25 हजार रुपए प्रतिदिन ले रहा था। राजस्थानी फिल्म की शूटिंग करने वाली यूनिट से आधी राशि ही वसूलने का निर्णय लिया है। क्लॉक टॉवर या इसके बाजार की दुकानों की छत पर शूटिंग का किराया नहीं बढ़ाया गया। निगम इसका एक लाख रुपए किराया लेता है।
सुमेर मार्केट के दरवाजे रात में होंगे बंद
सूर्यनगरी की धरोहर के रूप में पहचान बना चुके क्लॉक टॉवर की मरम्मत करके उसके चारों तरफ कांच लगाकर कवर करने का फैसला लिया गया है। इसके पीछे क्लॉक टॉवर का सौंदर्य बढ़ाना है। सुमेर मार्केट में सफाई व्यवस्था सुचारु करने और आगे अतिक्रमण नहीं हो, ऐसी व्यवस्था करने का भी निर्णय लिया गया।
अग्निहादसों पर संबंधित संस्थाओं को एनओसी देने की दरें निर्धारित करने के प्रस्ताव पर चर्चा की गई। घंटाघर की दुकानों से मोटी कमाई करने के लिए दुकानों को लीज या किराए पर देने के बारे में भी चर्चा की, लेकिन इस मामले पर सामूहिक चर्चा के बाद ही कोई सर्वसम्मत निर्णय लेने का फैसला लिया गया।
सरकार ने फिर अलापा पुराना राग
जोधपुर. थैलीसीमिया पीड़ितों के संक्रमित होने के मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के कदम उठाने के बजाय एक फिर सरकारी राग अलापते हुए उम्मेद अस्पताल की ब्लड बैंक में उपलब्ध रक्त जांच की तकनीक को सही ठहराया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख शासन सचिव सीएम मीणा का कहना है कि ब्लड बैंक नॉको की गाइड लाइन की पालना कर रहे हैं।
उम्मेद अस्पताल में थैलीसीमिया पीड़ितों को भी इसी गाइड लाइन के आधार पर हुई जांच के बाद ही रक्त चढ़ाया गया था। मीणा ने कहा कि अस्पताल स्तर पर गठित कमेटी को तीन दिन में रिपोर्ट उपलब्ध कराने का कहा है। पीड़ितों को चढ़ाए गए रक्त के दाताओं का पता लगाकर उनकी स्क्रीनिंग कराने की बात कही है। इधर जोधपुर में गठित कमेटी ने अपनी जांच शुरू कर दी है। कमेटी ने बुधवार को संक्रमित पीड़ितों के परिजनों को बुलाया है।
इसकी जानकारी लेने बुधवार को जयपुर से भी अधिकारियों के यहां आने की संभावना है। डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने पीड़ितों को संतुष्ट करने की कवायद शुरू करते हुए मंगलवार शाम दो घंटे तक समस्याओं पर व्यापक चर्चा की। स्थानीय स्तर की समस्याओं का निस्तारण करने के निर्देश भी दिए। माइक्रोबॉयलोजी विभाग की ओर से 56 बच्चों की रिपोर्ट में कई बच्चों के एचआईवी व एचसीवी से संक्रमित होना पाया गया था।
उम्मेद अस्पताल में थैलीसीमिया पीड़ितों को भी इसी गाइड लाइन के आधार पर हुई जांच के बाद ही रक्त चढ़ाया गया था। मीणा ने कहा कि अस्पताल स्तर पर गठित कमेटी को तीन दिन में रिपोर्ट उपलब्ध कराने का कहा है। पीड़ितों को चढ़ाए गए रक्त के दाताओं का पता लगाकर उनकी स्क्रीनिंग कराने की बात कही है। इधर जोधपुर में गठित कमेटी ने अपनी जांच शुरू कर दी है। कमेटी ने बुधवार को संक्रमित पीड़ितों के परिजनों को बुलाया है।
इसकी जानकारी लेने बुधवार को जयपुर से भी अधिकारियों के यहां आने की संभावना है। डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने पीड़ितों को संतुष्ट करने की कवायद शुरू करते हुए मंगलवार शाम दो घंटे तक समस्याओं पर व्यापक चर्चा की। स्थानीय स्तर की समस्याओं का निस्तारण करने के निर्देश भी दिए। माइक्रोबॉयलोजी विभाग की ओर से 56 बच्चों की रिपोर्ट में कई बच्चों के एचआईवी व एचसीवी से संक्रमित होना पाया गया था।
अब तो एसएमएस गैस बुकिंग भी ठप
जोधपुर. गैस एजेंसियों पर टेलीफोन नहीं उठाने की कर्मचारियों की आदत से परेशान उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए इंडियन ऑयल कॉपरेरेशन (आईओसी) ने एसएमएस के जरिए गैस बुकिंग सेवा शुरू की थी, लेकिन यह सुविधा पिछले कई दिनों से ठप होने से उपभोक्ताओं की परेशानियां बढ़ गई हैं।
आईओसी ने शहरी क्षेत्र में कंपनी की सभी 12 गैस एजेंसियों पर एसएमएस से सिलेंडर बुक करवाने की सुविधा शुरू कर रखी है, लेकिन कंपनी के मुख्य सरवर में तकनीकी गड़बड़ी होने से कई दिनों से किसी भी एजेंसी में एसएमएस के जरिए बुकिंग नही हो रही है। उपभोक्ता एसएमएस भेज कर निश्चिंत हो रहे हैं कि उनकी गैस बुक हो गई। कई दिन बीतने के बाद भी सिलेंडर नहीं मिलता तो नए सिरे से बुकिंग करवानी पड़ रही है। ऐसे में सिलेंडर मिलने में देरी होने से असुविधा हो रही है।
आईओसी ने शहरी क्षेत्र में कंपनी की सभी 12 गैस एजेंसियों पर एसएमएस से सिलेंडर बुक करवाने की सुविधा शुरू कर रखी है, लेकिन कंपनी के मुख्य सरवर में तकनीकी गड़बड़ी होने से कई दिनों से किसी भी एजेंसी में एसएमएस के जरिए बुकिंग नही हो रही है। उपभोक्ता एसएमएस भेज कर निश्चिंत हो रहे हैं कि उनकी गैस बुक हो गई। कई दिन बीतने के बाद भी सिलेंडर नहीं मिलता तो नए सिरे से बुकिंग करवानी पड़ रही है। ऐसे में सिलेंडर मिलने में देरी होने से असुविधा हो रही है।
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