जोधपुर. जिले के धवा-डोली, मगरा बाहुल्य क्षेत्रों में भोजन व पानी के अभाव में दम तोडऩे वाले 25 मृत हिरणों को लेकर विश्रोई समाज ने शनिवार शाम को कलेक्ट्रट परिसर व वन विभाग कार्यालय में प्रदर्शन किया। ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले 5-7 दिनों से वन्यजीवों को चारा-पानी नहीं मिलने से वे दम तोड़ रहे है।
एक गाड़ी में मृत हिरणों को लेकर पहुंचे विश्राई समाज के लोगों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। जिला कलेक्टर की अनुपस्थिति में एडीएम सिटी स्नेहलता पंवार ने वन्यजीव प्रेमियों से मुलाकात कर वन अधिकारियों से वार्ता करने की बात कही। जुलूस के रूप में विश्नोई समाज के लोग वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कार्यालय पहुंचे। उन्होने उपवन संरक्षक वन्यजीव राजीव जुगतावत को जोधपुर से हटाने की बात कहीं। इस मौके पर पुलिस के आला अधिकारी व आरएसी के जवान भी मौजूद है। विश्रोई समाज और वन विभाग के अधिकारियों के बीच वार्ता फिलहाल जारी है।
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Sunday, July 4, 2010
मेंढकी रै ब्याव री अब कोनी बाजे पीपाड़ी
जोधपुर. समय के साथ इंद्रदेव को रिझाने के जतन भी कम पड़ गए हैं। मानसून में देरी से आमजन परेशान तो हैं लेकिन जो टोटके दो दशक पहले तक हुआ करते थे वे अब गांवों में भी नजर नहीं आते। इतना जरूर है कि कहीं-कहीं अनुष्ठानों का चलन अब भी है।
मान्यता थी कि रुद्राभिषेक से भगवान शिव व इन्द्र प्रसन्न होने से बरसात हो जाती है और ये अब भी यदा-कदा किए जाते हैं लेकिन टोटकों की परंपरा तो लुप्त सी हो चुकी है। अब न मेढ़क-मेंढ़की की शादी की वो पुपाड़िया मारवाड़ के देहात में सुनाई देती हैं न लोग घरों के बाहर जाकर गोठ अथवा उजेणी मनाते हैं। वैसे शहर में लोगों ने बारिश के लिए दुआ और प्रार्थना की शुरुआत कर दी है।
आषाढ़ के आरंभ में आम तौर पर बरसात शुरू हो जाया करती है। अमावस्या तक भी बारिश नहीं हो तो मारवाड़ में लोग इन्द्र को मनाने की कोशिश करते हैं। जोधपुर में तो आखातीज पर घांची समाज बरसों से धणी से जमाने के बारे में पता लगाता आ रहा है। आषाढ़ लगते ही बरसात के लिए रुद्रपाठ व अभिषेक का सिलसिला शुरू हो जाता है। सावन शुरू होते ही पाठ व सावन धारा के साथ रुद्राभिषेक हो जाते हैं।
पंडित महेंद्र महाराज बताते हैं कि दूध व पानी में शिवलिंग तर करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और बरसात होती है। सरोवर किनारे आटे के मेढ़क बनाकर पूजा के बाद इन्हें जल में प्रवाहित करने का विधान है। पंडित नवीन दत्त का मानना है कि गांवों मेढ़कों की शादी का उपक्रम किया जाता था। इसके पीछे मान्यता थी कि शादी में बहुत सारे मेढ़क आएं और उनकी टर्र टर्र सुनकर बरसात शुरू हो जाए। पंडित रमेश पुरोहित ने बताया कि बरसात के लिए रुद्रीपाठ का विशेष महत्व था और आज भी है।
अनूठे टोटके
धारणा रही है कि छत पर कांसी की थाली उल्टी रखने से बरसात हो जाती थी। गांवों में मुखिया के अलसुबह बिना वस्त्र पहने अन्न लेकर खेत पर जाकर बुवाई करने पर भारी बरसात होने और जमकर पैदावार का मान्यता रही है। माना जाता था कि किसी मंदिर पर शिखर पर सफेद या लाल कपड़े में नारियल बांधने पर बरसात होगी। बरसात रोकने के लिए भी छत पर तवा उल्टा रखने के लिए और एक आंख वाले सात लोगों के नाम लेने जैसे टोटके अपनाए जाते रहे हैं।
मान्यता थी कि रुद्राभिषेक से भगवान शिव व इन्द्र प्रसन्न होने से बरसात हो जाती है और ये अब भी यदा-कदा किए जाते हैं लेकिन टोटकों की परंपरा तो लुप्त सी हो चुकी है। अब न मेढ़क-मेंढ़की की शादी की वो पुपाड़िया मारवाड़ के देहात में सुनाई देती हैं न लोग घरों के बाहर जाकर गोठ अथवा उजेणी मनाते हैं। वैसे शहर में लोगों ने बारिश के लिए दुआ और प्रार्थना की शुरुआत कर दी है।
आषाढ़ के आरंभ में आम तौर पर बरसात शुरू हो जाया करती है। अमावस्या तक भी बारिश नहीं हो तो मारवाड़ में लोग इन्द्र को मनाने की कोशिश करते हैं। जोधपुर में तो आखातीज पर घांची समाज बरसों से धणी से जमाने के बारे में पता लगाता आ रहा है। आषाढ़ लगते ही बरसात के लिए रुद्रपाठ व अभिषेक का सिलसिला शुरू हो जाता है। सावन शुरू होते ही पाठ व सावन धारा के साथ रुद्राभिषेक हो जाते हैं।
पंडित महेंद्र महाराज बताते हैं कि दूध व पानी में शिवलिंग तर करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और बरसात होती है। सरोवर किनारे आटे के मेढ़क बनाकर पूजा के बाद इन्हें जल में प्रवाहित करने का विधान है। पंडित नवीन दत्त का मानना है कि गांवों मेढ़कों की शादी का उपक्रम किया जाता था। इसके पीछे मान्यता थी कि शादी में बहुत सारे मेढ़क आएं और उनकी टर्र टर्र सुनकर बरसात शुरू हो जाए। पंडित रमेश पुरोहित ने बताया कि बरसात के लिए रुद्रीपाठ का विशेष महत्व था और आज भी है।
अनूठे टोटके
धारणा रही है कि छत पर कांसी की थाली उल्टी रखने से बरसात हो जाती थी। गांवों में मुखिया के अलसुबह बिना वस्त्र पहने अन्न लेकर खेत पर जाकर बुवाई करने पर भारी बरसात होने और जमकर पैदावार का मान्यता रही है। माना जाता था कि किसी मंदिर पर शिखर पर सफेद या लाल कपड़े में नारियल बांधने पर बरसात होगी। बरसात रोकने के लिए भी छत पर तवा उल्टा रखने के लिए और एक आंख वाले सात लोगों के नाम लेने जैसे टोटके अपनाए जाते रहे हैं।
दुलार को अपनों का इंतजार
जोधपुर. जिंदगी में दुलारचंद के सामने इससे बड़ा इम्तिहान भला और क्या हो सकता है? तीमारदारी में लगे लोग इतना ही जानते हैं कि यह दुलारचंद है। अपने घर से मीलों दूर रोजी-रोटी की तलाश में जोधपुर आया दुलारचंद खुद अपनी पहचान का मोहताज है।
हादसे ने उसकी याददाश्त छीन ली है। वह बोल नहीं पा रहा। एक महीना बीतने को आया, स्टील फैक्ट्री के साथी अभी इस उम्मीद में हैं कि उसकी याददाश्त आए तो वह अपने घर-परिवार के बारे में बताए। साथी चंदा करके उसका इलाज करा रहे हैं। उसके इलाज पर हजारों रुपए खर्च हो चुके हैं। अभी भी हजारों रुपए और चाहिए। दुलारचंद रोजाना की तरह छह जून को भी रात साढ़े नौ बजे घर के लिए निकला था।
एक टैक्सी ने उसे ऐसी टक्कर मारी कि वह बेसुध होकर गिर पड़ा। दो सप्ताह तक अस्पताल में रहने के बाद उसे होश तो आया लेकिन सिर पर गंभीर चोट लगने के कारण याददाश्त चली गई। वह बोल तक नहीं पा रहा। अब दुलारचंद का इलाज ठेकेदार दिवाकर के घर पर चल रहा है। वह चलने फिरने में भी लाचार हो गया है। उसके पैर व बायां हाथ काम नहीं कर रहा है।
दिवाकर के परिवारजन व फैक्ट्री के अन्य श्रमिक उसकी देखभाल कर रहे हैं। उसके सिर में 30 से ज्यादा टांके लगे हैं। अब तक करीब 90 हजार रुपए उपचार में खर्च हो चुके हैं। लेकिन अब आगे के उपचार के लिए रुपयों का जुगाड़ करना मुश्किल हो गया है। बासनी में दिवाकर के घर खाट पर सोये दुलारचंद को दवा के साथ दुआ की भी जरूरत है। दिवाकर सहित आसपास के लोग दुलारचंद के परिजनों का पता लगाने की कोशिश करते-करते थक चुके हैं।
हादसे ने उसकी याददाश्त छीन ली है। वह बोल नहीं पा रहा। एक महीना बीतने को आया, स्टील फैक्ट्री के साथी अभी इस उम्मीद में हैं कि उसकी याददाश्त आए तो वह अपने घर-परिवार के बारे में बताए। साथी चंदा करके उसका इलाज करा रहे हैं। उसके इलाज पर हजारों रुपए खर्च हो चुके हैं। अभी भी हजारों रुपए और चाहिए। दुलारचंद रोजाना की तरह छह जून को भी रात साढ़े नौ बजे घर के लिए निकला था।
एक टैक्सी ने उसे ऐसी टक्कर मारी कि वह बेसुध होकर गिर पड़ा। दो सप्ताह तक अस्पताल में रहने के बाद उसे होश तो आया लेकिन सिर पर गंभीर चोट लगने के कारण याददाश्त चली गई। वह बोल तक नहीं पा रहा। अब दुलारचंद का इलाज ठेकेदार दिवाकर के घर पर चल रहा है। वह चलने फिरने में भी लाचार हो गया है। उसके पैर व बायां हाथ काम नहीं कर रहा है।
दिवाकर के परिवारजन व फैक्ट्री के अन्य श्रमिक उसकी देखभाल कर रहे हैं। उसके सिर में 30 से ज्यादा टांके लगे हैं। अब तक करीब 90 हजार रुपए उपचार में खर्च हो चुके हैं। लेकिन अब आगे के उपचार के लिए रुपयों का जुगाड़ करना मुश्किल हो गया है। बासनी में दिवाकर के घर खाट पर सोये दुलारचंद को दवा के साथ दुआ की भी जरूरत है। दिवाकर सहित आसपास के लोग दुलारचंद के परिजनों का पता लगाने की कोशिश करते-करते थक चुके हैं।
महंगा पड़ गया 21 रुपए की टाई नहीं बदलना
जोधपुर. स्कूल ड्रेस की सप्लाई करने वाले एक शो रूम संचालक को छात्रा को बेची हुई 21 रुपए की टाई नहीं बदलना महंगा पड़ गया। उपभोक्ता मंच ने इस मामले में प्रार्थी परिहार नगर भदवासिया निवासी किशन सांखला की ओर से दर्ज वाद की सुनवाई के बाद सोजती गेट स्थित स्कूल ड्रेस सप्लायर मै.बच्छराज ट्रेडिंग कॉपरेरेशन को टाई के मूल्य के साथ प्रार्थी को मानसिक परेशानी के लिए 3 हजार रुपए हर्जाना तथा वाद खर्च के डेढ़ हजार रुपए एक माह के अंदर चुकाने के आदेश दिए हैं।
प्रार्थी सांखला ने मंच में वाद दायर कर बताया कि उसने अपनी पुत्री के लिए 28 जुलाई 2009 को बच्छराज ट्रेडिंग कॉपरेरेशन से 21 रुपए की टाई खरीदी थी। घर जा कर देखने पर टाई की साइज छोटी निकली। दूसरे दिन जब उसने वापस शो रूम पर संपर्क किया तो उन्होंने एक सप्ताह बाद आने को कहा, लेकिन बाद में भी उन्होंने टाई नहीं बदली। इस पर उन्होंने 8 सितंबर 2009 को शो रूम संचालक को नोटिस दिया जिसका उन्होंने संतोषप्रद जवाब नहीं दिया।
प्रार्थी ने उपभोक्ता मंच में वाद दायर करते हुए मानसिक परेशानी पेटे 30 हजार रुपए तथा वाद खर्च के 4 हजार 400 रुपए दिलाने की मांग की। मंच में सुनवाई के दौरान अप्रार्थी की ओर से कोई पेश नहीं हुआ। इस पर एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए मंच के अध्यक्ष एमडी वैष्णव तथा सदस्य विनोद उर्फ वीनू राठौर ने आदेश जारी करते हुए टाई के मूल्य 21 रुपए सहित मानसिक परेशानी के लिए 3 हजार रुपए तथा वाद खर्च के 15 सौ, कुल 4 हजार 521 रुपए का भुगतान करने के आदेश दिए।
प्रार्थी सांखला ने मंच में वाद दायर कर बताया कि उसने अपनी पुत्री के लिए 28 जुलाई 2009 को बच्छराज ट्रेडिंग कॉपरेरेशन से 21 रुपए की टाई खरीदी थी। घर जा कर देखने पर टाई की साइज छोटी निकली। दूसरे दिन जब उसने वापस शो रूम पर संपर्क किया तो उन्होंने एक सप्ताह बाद आने को कहा, लेकिन बाद में भी उन्होंने टाई नहीं बदली। इस पर उन्होंने 8 सितंबर 2009 को शो रूम संचालक को नोटिस दिया जिसका उन्होंने संतोषप्रद जवाब नहीं दिया।
प्रार्थी ने उपभोक्ता मंच में वाद दायर करते हुए मानसिक परेशानी पेटे 30 हजार रुपए तथा वाद खर्च के 4 हजार 400 रुपए दिलाने की मांग की। मंच में सुनवाई के दौरान अप्रार्थी की ओर से कोई पेश नहीं हुआ। इस पर एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए मंच के अध्यक्ष एमडी वैष्णव तथा सदस्य विनोद उर्फ वीनू राठौर ने आदेश जारी करते हुए टाई के मूल्य 21 रुपए सहित मानसिक परेशानी के लिए 3 हजार रुपए तथा वाद खर्च के 15 सौ, कुल 4 हजार 521 रुपए का भुगतान करने के आदेश दिए।
आइसक्रीम खाना, बीमारी को बुलाना
जोधपुर. आप और आपके बच्चे आइसक्रीम खाने के शौकीन हैं तो सावधान हो जाइए। अनेक प्रकार की आइसक्रीम में रंग और यूरिया मिलाए जाए रहे हैं जो शरीर के लिए धीरे-धीरे घातक साबित हो सकते हैं। एक दिन अचानक खून, पेट और किडनी की बीमारी आपको परेशानी में डाल सकती है।
हाल ही जोधपुर में चल प्रयोगशाला की ओर से लिए गए आइसक्रीम के नमूनों की जांच में खतरनाक किस्म के रसायनों की मौजूदगी का खुलासा हुआ है। पिछले ढाई माह से शहर के विभिन्न स्थानों से चल प्रयोगशाला में ऑन द स्पाट की गई जांच में कई जगह आइसक्रीम के सैंपल लिए गए। इस दौरान रसद व चिकित्सा विभाग की टीम ने मौके पर आइसक्रीम तैयार करने वाली फैक्ट्रियों में विभिन्न तरह के रंग, सेकरीन, यूरिया मिला दूध आदि भी बरामद किया।
गुरुवार को विद्याशाला स्थित एक आइसक्रीम फैक्ट्री में मिलावटी आइसक्रीम मिलने पर वहां तैयार कर रखे आइसक्रीम के तीन सौ से ज्यादा डिब्बे नष्ट किए गए। पिछले माह फतेहसागर स्थित एक आईसक्रीम फैक्ट्री में मटमैले पानी का उपयोग व फैक्ट्री में मिली गंदगी पर फैक्ट्री वाले को टीम ने लताड़ पिलाई।
हाल ही जोधपुर में चल प्रयोगशाला की ओर से लिए गए आइसक्रीम के नमूनों की जांच में खतरनाक किस्म के रसायनों की मौजूदगी का खुलासा हुआ है। पिछले ढाई माह से शहर के विभिन्न स्थानों से चल प्रयोगशाला में ऑन द स्पाट की गई जांच में कई जगह आइसक्रीम के सैंपल लिए गए। इस दौरान रसद व चिकित्सा विभाग की टीम ने मौके पर आइसक्रीम तैयार करने वाली फैक्ट्रियों में विभिन्न तरह के रंग, सेकरीन, यूरिया मिला दूध आदि भी बरामद किया।
गुरुवार को विद्याशाला स्थित एक आइसक्रीम फैक्ट्री में मिलावटी आइसक्रीम मिलने पर वहां तैयार कर रखे आइसक्रीम के तीन सौ से ज्यादा डिब्बे नष्ट किए गए। पिछले माह फतेहसागर स्थित एक आईसक्रीम फैक्ट्री में मटमैले पानी का उपयोग व फैक्ट्री में मिली गंदगी पर फैक्ट्री वाले को टीम ने लताड़ पिलाई।
ट्रेन और कार की टक्कर, तीन की मौत
जोधपुर.बाड़मेर। बाड़मेर शहर के जसदेर नाडी के पास रेलवे क्रॉसिंग से निकलते वक्त शनिवार सुबह एक बोलेरो जोधपुर-बाड़मेर सवारी गाड़ी की चपेट में आ गई, इससे बोलेरो में सवार तीन जनों की मौके पर ही मौत हो गई।
मौके पर पहुंचे संवाददाता के अनुसार ट्रेन के आगे आई बोलेरो बुरी तरह पिचक गई थी। इससे उसमें बैठी सवारियों की गिनती को लेकर असंमजस की स्थिति बनी हुई थी। लेकिन तीन लोगों के शव जो बुरी तरह पिचके हुए थे , साफ नजर आ रहे थे। समाचार लिखे जाने तक घटना स्थल पर पुलिस ने क्रेन बुलवा कर जीप को ट्रेन से निकालने की मशक्कत की जा रही थी।
मौके पर पहुंचे संवाददाता के अनुसार ट्रेन के आगे आई बोलेरो बुरी तरह पिचक गई थी। इससे उसमें बैठी सवारियों की गिनती को लेकर असंमजस की स्थिति बनी हुई थी। लेकिन तीन लोगों के शव जो बुरी तरह पिचके हुए थे , साफ नजर आ रहे थे। समाचार लिखे जाने तक घटना स्थल पर पुलिस ने क्रेन बुलवा कर जीप को ट्रेन से निकालने की मशक्कत की जा रही थी।
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