बाड़मेर (राजस्थान). आतंकी संगठन बब्बर खालसा से जुड़े आतंकी जगमोहन की गुरुवार को पंजाब पुलिस के चार जवानों ने बाड़मेर में खूब खातिरदारी की। पुलिसकर्मियों ने न केवल उसकी हथकड़ी खोल दी बल्कि शहर के व्यस्ततम इलाके के एक होटल में उसे अपने साथ बैठा कर खाना भी खिलाया।
पिछले साल सरहद पार से हथियार तस्करी के मामले में लिप्त इस आतंकी को पंजाब पुलिस गुरुवार को यहां कोर्ट में पेशी पर लेकर आई थी। सिपाही बगीचा सिंह ने बताया, ‘पेशी पर लाने वाले बंदियों को भोजन कराने की जिम्मेदारी भी हमारी होती है। जरूरी नहीं है कि आतंकी को जेल में ले जाकर खाना खिलाया जाए। मानवता के नाते भोजन करते समय हमने हथकड़ी खोल दी।’ उधर स्थानीय पुलिस को भी इसकी भनक नहीं लगी कि जगमोहन को यहां लाया गया है।
‘किसी भी खतरनाक अपराधी को सार्वजनिक रेस्त्रां या होटल में भोजन कराने का नियम नहीं है। आतंकी जगमोहन की पेशी की जानकारी हमें नहीं दी गई, न ही कोई मदद मांगी गई।’
संतोष चालके एसपी बाड़मेर
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Saturday, July 3, 2010
बिना स्वीकृति शुरू कर दिया कोर्स
जोधपुर. जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी के विधि संकाय ने इस शैक्षणिक सत्र से बीए-एलएलबी व बीबीए-एलएलबी के कोर्स तो शुरू तो कर दिए, लेकिन इसके लिए बार कांउसिल ऑफ इंडिया से स्वीकृति ही नहीं ली।
अब बार काउंसिल के सचिव एमडी जोशी ने जेएनवीयू की कुलसचिव निर्मला मीणा को साफ शब्दों में कह दिया है कि यदि कोर्स चलाना है तो बार काउंसिल से स्वीकृति लेनी होगी। उधर विधि संकाय ने दोनों कोर्स के लिए आवेदन स्वीकार कर कटऑफ लिस्ट भी जारी कर दी है।
विधि संकाय के डीन प्रो. रामनिवास शर्मा का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के एक निर्देश के आधार पर जेएनवीयू को स्वीकृति की कोई आवश्यकता नहीं है। जेएनवीयू के विधि संकाय में पहले पांच वर्षीय विधि पाठ्यक्रम चलाया जाता था, लेकिन पूर्व में इसे बंद कर दिया गया था। इसे फिर से शुरू करने के लिए विधि संकाय की ओर से बार काउंसिल से स्वीकृति ही नहीं ली गई तथा कोर्स शुरू कर दिया गया। हालांकि पूर्व में चल रहे कोर्स व इस बार शुरू किए गए कोर्स में फर्क था। इस बार जो कोर्स शुरू किए गए, उनमें एलएलबी के साथ बीबीए अथवा बीए का संयुक्त पाठ्यक्रम था।
इस संबंध में जब कुलपति प्रो. नवीन माथुर को पता चला तो उन्होंने बार काउंसिल की विधि शिक्षा प्रकोष्ठ के एक्टिंग सेकेट्ररी इंचार्ज एमडी जोशी को पत्र भेजा तथा कुलसचिव निर्मला मीणा को इस संबंध में बात करने के निर्देश दिए। कुलसचिव मीणा ने जब जोशी से बात की तो उन्होंने मीणा से कहा कि कोर्स शुरू करना है तो स्वीकृति तो लेनी ही होगी। उन्होंने यह भी पूछा कि कोर्स शुरू करने से पहले राज्य सरकार से स्वीकृति ली गई है या नहीं? इसका भी मीणा के पास कोई जवाब नहीं था। अब, जब तक कोर्स चलाने की स्वीकृति नहीं मिल जाती, जेएनवीयू कोर्स नहीं चला सकता।
कटऑफ जारी, फीस जमा होना शुरू
बीए-एलएलबी व बीबीए-एलएलबी कोर्स की 30-30 सीटों में से 27-27 सीटों की कटऑफ लिस्ट जारी कर दी गई है। कई विद्यार्थियों ने तो फीस भी भर दी है।
‘हम प्रयास करेंगे, स्वीकृति मिल ही जाएगी’
कुलपति के निर्देश पर बार काउंसिल की विधि शिक्षा के एक्टिंग सेकेट्ररी इंचार्ज एमडी जोशी से बात की है। उन्होंने कोर्स शुरू करने की स्वीकृति लेने के लिए कहा है। विश्वविद्यालय प्रयास कर स्वीकृति ले लेगा। - निर्मला मीणा, कुलसचिव जेएनवीयू
‘जेएनवीयू स्वीकृति के लिए बाध्य नहीं’
सुप्रीम कोर्ट के एक निर्देश में कहा गया है कि विश्वविद्यालय व बार काउंसिल स्वायत्त संस्थाएं है। इन्हें कोई कार्य करने के लिए एक-दूसरे से स्वीकृति लेने की आवश्यकता नहीं है। इसी निर्णय के आधार पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने एलएलबी कोर्स शुरू करने के मामले में बैंगलोर विश्वविद्यालय के पक्ष में फैसला दिया था। इसलिए इन दोनों कोर्स को शुरू करने के लिए जेएनवीयू बार काउंसिल से स्वीकृती लेने के लिए बाध्य नहीं है। - प्रो.रामनिवास शर्मा, डीन विधि संकाय
अब बार काउंसिल के सचिव एमडी जोशी ने जेएनवीयू की कुलसचिव निर्मला मीणा को साफ शब्दों में कह दिया है कि यदि कोर्स चलाना है तो बार काउंसिल से स्वीकृति लेनी होगी। उधर विधि संकाय ने दोनों कोर्स के लिए आवेदन स्वीकार कर कटऑफ लिस्ट भी जारी कर दी है।
विधि संकाय के डीन प्रो. रामनिवास शर्मा का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के एक निर्देश के आधार पर जेएनवीयू को स्वीकृति की कोई आवश्यकता नहीं है। जेएनवीयू के विधि संकाय में पहले पांच वर्षीय विधि पाठ्यक्रम चलाया जाता था, लेकिन पूर्व में इसे बंद कर दिया गया था। इसे फिर से शुरू करने के लिए विधि संकाय की ओर से बार काउंसिल से स्वीकृति ही नहीं ली गई तथा कोर्स शुरू कर दिया गया। हालांकि पूर्व में चल रहे कोर्स व इस बार शुरू किए गए कोर्स में फर्क था। इस बार जो कोर्स शुरू किए गए, उनमें एलएलबी के साथ बीबीए अथवा बीए का संयुक्त पाठ्यक्रम था।
इस संबंध में जब कुलपति प्रो. नवीन माथुर को पता चला तो उन्होंने बार काउंसिल की विधि शिक्षा प्रकोष्ठ के एक्टिंग सेकेट्ररी इंचार्ज एमडी जोशी को पत्र भेजा तथा कुलसचिव निर्मला मीणा को इस संबंध में बात करने के निर्देश दिए। कुलसचिव मीणा ने जब जोशी से बात की तो उन्होंने मीणा से कहा कि कोर्स शुरू करना है तो स्वीकृति तो लेनी ही होगी। उन्होंने यह भी पूछा कि कोर्स शुरू करने से पहले राज्य सरकार से स्वीकृति ली गई है या नहीं? इसका भी मीणा के पास कोई जवाब नहीं था। अब, जब तक कोर्स चलाने की स्वीकृति नहीं मिल जाती, जेएनवीयू कोर्स नहीं चला सकता।
कटऑफ जारी, फीस जमा होना शुरू
बीए-एलएलबी व बीबीए-एलएलबी कोर्स की 30-30 सीटों में से 27-27 सीटों की कटऑफ लिस्ट जारी कर दी गई है। कई विद्यार्थियों ने तो फीस भी भर दी है।
‘हम प्रयास करेंगे, स्वीकृति मिल ही जाएगी’
कुलपति के निर्देश पर बार काउंसिल की विधि शिक्षा के एक्टिंग सेकेट्ररी इंचार्ज एमडी जोशी से बात की है। उन्होंने कोर्स शुरू करने की स्वीकृति लेने के लिए कहा है। विश्वविद्यालय प्रयास कर स्वीकृति ले लेगा। - निर्मला मीणा, कुलसचिव जेएनवीयू
‘जेएनवीयू स्वीकृति के लिए बाध्य नहीं’
सुप्रीम कोर्ट के एक निर्देश में कहा गया है कि विश्वविद्यालय व बार काउंसिल स्वायत्त संस्थाएं है। इन्हें कोई कार्य करने के लिए एक-दूसरे से स्वीकृति लेने की आवश्यकता नहीं है। इसी निर्णय के आधार पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने एलएलबी कोर्स शुरू करने के मामले में बैंगलोर विश्वविद्यालय के पक्ष में फैसला दिया था। इसलिए इन दोनों कोर्स को शुरू करने के लिए जेएनवीयू बार काउंसिल से स्वीकृती लेने के लिए बाध्य नहीं है। - प्रो.रामनिवास शर्मा, डीन विधि संकाय
सरकारी स्कूल बंद करने पर रोक
जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नागौर जिले के पिथासिया गांव के प्राथमिक विद्यालय को बंद कर सालवां गांव स्थानांतरित करने पर अंतरिम रोक लगा दी है।
साथ ही अनार्थिक घोषित कर 7 उच्च प्राथमिक तथा 114 प्राथमिक स्कूलों को बंद किए जाने के मामले में शिक्षा विभाग से जवाब तलब किया है। न्यायाधीश डॉ. विनीत कोठारी ने शुक्रवार को प्रार्थी हरसुख की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए।
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अविनाश आचार्य और पप्पू सांगवा ने याचिका की सुनवाई के दौरान यह तर्क दिया कि एक ओर केंद्र सरकार ने वर्ष 2002 में संविधान की धारा 21ए के जरिए देश भर के 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का अधिकार दिया है, वहीं संविधान की भावना के विपरीत नागौर जिले में शिक्षा विभाग ने 4 जून 2010 को 7 उप्रा तथा 114 प्राथमिक स्कूलों को अनार्थिक बता कर बंद करने के आदेश जारी किए हैं।
याचिकाकर्ता ग्राम पिथासिया का जागरूक युवक है तथा उसने अपने गांव के स्कूल को बंद कर वहां से 6 किमी दूर सालवा गांव के स्कूल में मर्ज किए जाने का विरोध किया है। शिक्षा विभाग के निर्णय से पिथासिया के बच्चों को दूसरे गांव तक जाना पड़ेगा। सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किए व पिथासिया स्कूल को बंद करने पर रोक लगाने के अंतरिम आदेश जारी किए।
साथ ही अनार्थिक घोषित कर 7 उच्च प्राथमिक तथा 114 प्राथमिक स्कूलों को बंद किए जाने के मामले में शिक्षा विभाग से जवाब तलब किया है। न्यायाधीश डॉ. विनीत कोठारी ने शुक्रवार को प्रार्थी हरसुख की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए।
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अविनाश आचार्य और पप्पू सांगवा ने याचिका की सुनवाई के दौरान यह तर्क दिया कि एक ओर केंद्र सरकार ने वर्ष 2002 में संविधान की धारा 21ए के जरिए देश भर के 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का अधिकार दिया है, वहीं संविधान की भावना के विपरीत नागौर जिले में शिक्षा विभाग ने 4 जून 2010 को 7 उप्रा तथा 114 प्राथमिक स्कूलों को अनार्थिक बता कर बंद करने के आदेश जारी किए हैं।
याचिकाकर्ता ग्राम पिथासिया का जागरूक युवक है तथा उसने अपने गांव के स्कूल को बंद कर वहां से 6 किमी दूर सालवा गांव के स्कूल में मर्ज किए जाने का विरोध किया है। शिक्षा विभाग के निर्णय से पिथासिया के बच्चों को दूसरे गांव तक जाना पड़ेगा। सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किए व पिथासिया स्कूल को बंद करने पर रोक लगाने के अंतरिम आदेश जारी किए।
प्रसूता ने रेजिडेंट डॉक्टर का हाथ काट खाया
इससे पहले
* पैरों के साइड इफेक्ट से बने हैं इंसानी हाथ
* पाकिस्तान में बने पांच ग्रेनेड बरामद
* शराब दुकान के पंडों ने वकील का हाथ तोड़ा
जोधपुर. उम्मेद अस्पताल के लेबररूम में गुरुवार को एक प्रसूता ने रेजिडेंट डॉक्टर के हाथ पर काट लिया और उसका चश्मा तोड़ कर उसे लहुलुहान कर दिया। इस घटना के चलते लेबर रूम में हंगामे की स्थिति हो गई। बाद में प्रसूता को लेबर रूम से ऑपरेशन थियेटर में शिफ्ट कर दिया गया, हालांकि उसका प्रसव सामान्य प्रक्रिया से ही हुआ।
अस्पताल प्रबंधन ने घटना की रिपोर्ट पुलिस को सौंपी है। घटना के अनुसार मसूरिया निवासी एंथोनी ने पत्नी रीना को प्रसव के लिए गुरुवार सुबह पांच बजे यहां भर्ती करवाया था। प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने लेबर रूम में उपस्थित डॉक्टर को उसे देखने को कहा। उस समय कार्यरत रेजिडेंट डॉक्टर ने उसे नॉर्मल डिलीवरी की बात कहते हुए तैयार होने के लिए अंदर भेजा, लेकिन परिजन व प्रसूता सर्जरी से प्रसव के लिए अड़े रहे। समझाइश के दौरान कहासुनी के चलते रीना ने रेजिडेंट डॉक्टर के हाथ पर काट खाया और उसका चश्मा तोड़ दिया।
हंगामे की स्थिति को देखते हुए अस्पताल में पुलिस को बुलाना पड़ा। अधीक्षक डॉ. डीआर डाबी ने गाइनी विशेषज्ञों से भी डिलीवरी के लिए बात की। इधर, रीना की मां क्रीस्टा का आरोप है कि डॉक्टर ने उसे व रीना को थप्पड़ मारा था।हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हुई है। रीना की मां मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. आरके आसेरी के अस्पताल में होने की जानकारी मिलने पर उनसे मिलने शिशु रोग विभागाध्यक्ष के कमरे में पहुंची। यहां डॉक्टर्स ने उसे समझाया कि आपको समस्या थी तो शिकायत करनी चाहिए थी। यह जवाब सुनकर वह नाराज होकर वहां से निकल गई।
* पैरों के साइड इफेक्ट से बने हैं इंसानी हाथ
* पाकिस्तान में बने पांच ग्रेनेड बरामद
* शराब दुकान के पंडों ने वकील का हाथ तोड़ा
जोधपुर. उम्मेद अस्पताल के लेबररूम में गुरुवार को एक प्रसूता ने रेजिडेंट डॉक्टर के हाथ पर काट लिया और उसका चश्मा तोड़ कर उसे लहुलुहान कर दिया। इस घटना के चलते लेबर रूम में हंगामे की स्थिति हो गई। बाद में प्रसूता को लेबर रूम से ऑपरेशन थियेटर में शिफ्ट कर दिया गया, हालांकि उसका प्रसव सामान्य प्रक्रिया से ही हुआ।
अस्पताल प्रबंधन ने घटना की रिपोर्ट पुलिस को सौंपी है। घटना के अनुसार मसूरिया निवासी एंथोनी ने पत्नी रीना को प्रसव के लिए गुरुवार सुबह पांच बजे यहां भर्ती करवाया था। प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने लेबर रूम में उपस्थित डॉक्टर को उसे देखने को कहा। उस समय कार्यरत रेजिडेंट डॉक्टर ने उसे नॉर्मल डिलीवरी की बात कहते हुए तैयार होने के लिए अंदर भेजा, लेकिन परिजन व प्रसूता सर्जरी से प्रसव के लिए अड़े रहे। समझाइश के दौरान कहासुनी के चलते रीना ने रेजिडेंट डॉक्टर के हाथ पर काट खाया और उसका चश्मा तोड़ दिया।
हंगामे की स्थिति को देखते हुए अस्पताल में पुलिस को बुलाना पड़ा। अधीक्षक डॉ. डीआर डाबी ने गाइनी विशेषज्ञों से भी डिलीवरी के लिए बात की। इधर, रीना की मां क्रीस्टा का आरोप है कि डॉक्टर ने उसे व रीना को थप्पड़ मारा था।हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हुई है। रीना की मां मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. आरके आसेरी के अस्पताल में होने की जानकारी मिलने पर उनसे मिलने शिशु रोग विभागाध्यक्ष के कमरे में पहुंची। यहां डॉक्टर्स ने उसे समझाया कि आपको समस्या थी तो शिकायत करनी चाहिए थी। यह जवाब सुनकर वह नाराज होकर वहां से निकल गई।
सरकारी कर्मचारियों ने संभाली 108 की कमान
जोधपुर. आपातकालीन सड़क दुर्घटना के घायलों व गंभीर रूप से बीमार मरीजों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए चल रही नि:शुल्क एम्बुलेंस सेवा डॉयल 108 का संचालन आखिरकार स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को ही करना पड़ा।
एक जुलाई से इस सेवा का संचालन नई सेवा प्रदाता कम्पनी जिग्तसा के कर्मचारियों को करना था, लेकिन पुराने कर्मचारियों को रखने को लेकर पिछले दो दिनों से चल रहे विवाद के चलते 30 जून मध्यरात्रि से यह सेवा पूरी तरह से ठप हो गई। शुक्रवार दोपहर तक स्थानीय सीएमएचओ डॉ. रमेश माथुर ने विभाग के नर्सिंग कर्मचारी, ड्राइवर लगाकर एम्बुलेंस का संचालन शुरू करवाया।
एक जुलाई से इस सेवा का संचालन नई सेवा प्रदाता कम्पनी जिग्तसा के कर्मचारियों को करना था, लेकिन पुराने कर्मचारियों को रखने को लेकर पिछले दो दिनों से चल रहे विवाद के चलते 30 जून मध्यरात्रि से यह सेवा पूरी तरह से ठप हो गई। शुक्रवार दोपहर तक स्थानीय सीएमएचओ डॉ. रमेश माथुर ने विभाग के नर्सिंग कर्मचारी, ड्राइवर लगाकर एम्बुलेंस का संचालन शुरू करवाया।
हमारा जेएनवीयू ऑलराउंडर
जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति की मानें तो जेएनवीयू प्रदेश का एकमात्र ऑलराउंडर विश्वविद्यालय है। उन्होंने गुरुवार को कुलाधिपति व राज्यपाल शिवराज पाटिल की अध्यक्षता में जयपुर में आयोजित कुलपति समन्वय कमेटी की बैठक में जेएनवीयू का पक्ष रखा।
इस बैठक में प्रदेश के सभी 11 विश्वविद्यालयों के कुलपति के अलावा उच्च शिक्षा, मेडिकल शिक्षा, कृषि शिक्षा, संस्कृत शिक्षा, तकनीकी शिक्षा के प्रमुख शिक्षा सचिव व कॉलेज एजुकेशन के आयुक्त भी मौजूद थे। बैठक में सभी कुलपतियों ने अपने-अपने विश्वविद्यालय की विशेषताओं के संबंध में रिपोर्ट पेश की। जेएनवीयू के कुलपति प्रो. नवीन माथुर ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि प्रदेश का एकमात्र आवासीय विश्वविद्यालय होने के कारण जेएनवीयू सबसे आगे है। उन्होंने संकायवार विशेषताओं का भी उल्लेख किया। प्रो. माथुर ने जेएनवीयू की जो तस्वीर पेश की, वह इस प्रकार है-
सीए व एमबीए की खास पहचान
वाणिज्य संकाय ने अपनी खास पहचान बनाई है। यहां से पढ़े कई विद्यार्थी सीए बने। जोधपुर को सीए की मंडी के रूप में जाना जाता है। वहीं यहां से एमबीए करने वाले विद्यार्थियों ने भी देश-विदेश में अपना नाम रोशन किया है। वे स्वयं भी यहां के एमबीए कोर्स के पहले बैच के स्टूडेंट रह चुके हैं।
खुद राष्ट्रपति ने दिया प्रोजेक्ट
जेएनवीयू के विज्ञान संकाय ने भी कई क्षेत्रों में अच्छा कार्य किया है। खुद राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने विश्वविद्यालय के भू-गर्भ विज्ञान विभाग को रेगिस्तान में यूरेनियम की खोज करने का प्रोजेक्ट सौंपा है। यह विभाग ऑयल इंडिया के सलाहकार की भूमिका भी निभा रहा है। यहां की फिश लैब में भी अच्छा कार्य किया जा रहा है।
सौर ऊर्जा से जगमगाएगा परिसर
अभियांत्रिकी संकाय ने हाल ही में सोलर एनर्जी के एक प्रोजेक्ट पर कार्य करना शुरू किया है। इसमें करीब 100 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस प्रोजेक्ट को तीन चरणों में पूर्ण किया जाएगा। पहले चरण में विद्यार्थियों को शोध के लिए सुविधाएं दी जाएंगी। दूसरे व तीसरे चरण में क्रमश: अभियांत्रिकी संकाय व पूरे जेएनवीयू को सौर ऊर्जा से रोशन करने पर कार्य होगा।
राज्य में केवल जेएनवीयू में मिल्रिटी साइंस कोर्स
जेएनवीयू प्रदेश का एकमात्र विश्वविद्यालय है जहां कला संकाय में मिल्रिटी साइंस में स्नातक व स्नातकोत्तर कोर्स चलाए जा रहे हैं। ये कोर्स पिछले दो वर्ष से चलाए जा रहे हैं। जेएनवीयू की ओर से कला संकाय में इसी तर्ज पर कुछ और कोर्स भी खोलने की कवायद चल रही है। कोशिश है कि ये कोर्स रोजगारोन्मुखी हों।
सर्वोच्च व उच्च न्यायालय में हमारे स्टूडेंट जज
जेएनवीयू के विधि संकाय ने भी विधि क्षेत्र में अपना खास योगदान दिया है। संकाय से शिक्षा प्राप्त कर चुके कई पूर्व विद्यार्थी न केवल हाईकोर्ट, बल्कि सुप्रीम कोर्ट में भी न्यायाधीश हैं। हाल ही में पांचवर्षीय विधि पाठ्यक्रम शुरू किए गए है। इनमें बीए-एलएलबी व बीबीए-एलएलबी शामिल हैं। इन दोनों कोर्स की 30-30 सीटें हैं।
इस बैठक में प्रदेश के सभी 11 विश्वविद्यालयों के कुलपति के अलावा उच्च शिक्षा, मेडिकल शिक्षा, कृषि शिक्षा, संस्कृत शिक्षा, तकनीकी शिक्षा के प्रमुख शिक्षा सचिव व कॉलेज एजुकेशन के आयुक्त भी मौजूद थे। बैठक में सभी कुलपतियों ने अपने-अपने विश्वविद्यालय की विशेषताओं के संबंध में रिपोर्ट पेश की। जेएनवीयू के कुलपति प्रो. नवीन माथुर ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि प्रदेश का एकमात्र आवासीय विश्वविद्यालय होने के कारण जेएनवीयू सबसे आगे है। उन्होंने संकायवार विशेषताओं का भी उल्लेख किया। प्रो. माथुर ने जेएनवीयू की जो तस्वीर पेश की, वह इस प्रकार है-
सीए व एमबीए की खास पहचान
वाणिज्य संकाय ने अपनी खास पहचान बनाई है। यहां से पढ़े कई विद्यार्थी सीए बने। जोधपुर को सीए की मंडी के रूप में जाना जाता है। वहीं यहां से एमबीए करने वाले विद्यार्थियों ने भी देश-विदेश में अपना नाम रोशन किया है। वे स्वयं भी यहां के एमबीए कोर्स के पहले बैच के स्टूडेंट रह चुके हैं।
खुद राष्ट्रपति ने दिया प्रोजेक्ट
जेएनवीयू के विज्ञान संकाय ने भी कई क्षेत्रों में अच्छा कार्य किया है। खुद राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने विश्वविद्यालय के भू-गर्भ विज्ञान विभाग को रेगिस्तान में यूरेनियम की खोज करने का प्रोजेक्ट सौंपा है। यह विभाग ऑयल इंडिया के सलाहकार की भूमिका भी निभा रहा है। यहां की फिश लैब में भी अच्छा कार्य किया जा रहा है।
सौर ऊर्जा से जगमगाएगा परिसर
अभियांत्रिकी संकाय ने हाल ही में सोलर एनर्जी के एक प्रोजेक्ट पर कार्य करना शुरू किया है। इसमें करीब 100 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस प्रोजेक्ट को तीन चरणों में पूर्ण किया जाएगा। पहले चरण में विद्यार्थियों को शोध के लिए सुविधाएं दी जाएंगी। दूसरे व तीसरे चरण में क्रमश: अभियांत्रिकी संकाय व पूरे जेएनवीयू को सौर ऊर्जा से रोशन करने पर कार्य होगा।
राज्य में केवल जेएनवीयू में मिल्रिटी साइंस कोर्स
जेएनवीयू प्रदेश का एकमात्र विश्वविद्यालय है जहां कला संकाय में मिल्रिटी साइंस में स्नातक व स्नातकोत्तर कोर्स चलाए जा रहे हैं। ये कोर्स पिछले दो वर्ष से चलाए जा रहे हैं। जेएनवीयू की ओर से कला संकाय में इसी तर्ज पर कुछ और कोर्स भी खोलने की कवायद चल रही है। कोशिश है कि ये कोर्स रोजगारोन्मुखी हों।
सर्वोच्च व उच्च न्यायालय में हमारे स्टूडेंट जज
जेएनवीयू के विधि संकाय ने भी विधि क्षेत्र में अपना खास योगदान दिया है। संकाय से शिक्षा प्राप्त कर चुके कई पूर्व विद्यार्थी न केवल हाईकोर्ट, बल्कि सुप्रीम कोर्ट में भी न्यायाधीश हैं। हाल ही में पांचवर्षीय विधि पाठ्यक्रम शुरू किए गए है। इनमें बीए-एलएलबी व बीबीए-एलएलबी शामिल हैं। इन दोनों कोर्स की 30-30 सीटें हैं।
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