जोधपुर. महात्मा गांधी हॉस्पिटल से सोजती गेट की ओर जाने वाले मार्ग पर रविवार दोपहर एक युवक के अपहरण की सूचना ने शहर पुलिस की तीन घंटे तक परेड करवा दी। लोगों के बताए नंबरों के आधार पर जब पुलिस ने टैक्सी व जीप पकड़ी, तो पता लगा कि वह युवक अपनी पत्नी से झगड़ा कर घर से निकला था। उसे घर ले जाने के प्रयास को लोगों ने अपहरण समझ लिया।
उदयमंदिर थानाधिकारी वेदप्रकाश शर्मा ने बताया कि प्रताप नगर क्षेत्र निवासी दिनेश रविवार को पत्नी से झगड़ा कर घर से निकल गया। उसकी पत्नी ने शास्त्री नगर ई सेक्टर में रहने वाले अपने जेठ शांतिलाल को इस बारे में बताया। भाई को ढूंढ़ने में मदद करने के लिए शांतिलाल ने अपने एक मित्र को बुलाया। दोनों उसे ढूंढते हुए सोजती गेट रणछोड़ राय मंदिर के निकट पहुंचे। वहां उन्हें दिनेश मिल गया।
भाई व उसके मित्र ने उसे घर चलने के लिए समझाया और उसे अपने साथ जीप में बैठने को कहा। काफी देर तक बीच सड़क पर हंगामा होता रहा और लोगों की भीड़ तमाशा देखती रही। आखिरकार दिनेश जीप में तो नहीं बैठा, अलबत्ता भाई के साथ एक राह चलती टैक्सी में बैठा।
लोगों ने इसे अपहरण समझ लिया और जीप व टैक्सी के नंबर पुलिस कंट्रोल रूम में दे दिए। पुलिस ने नाकाबंदी करवाई। तीन घंटे की मशक्कत के बाद पुलिस ने दिनेश को शास्त्री नगर ई सेक्टर से ढूंढ़ निकाला। बाद में पुलिस अधिकारियों ने समझाइश कर उसे शांतिलाल के साथ घर भेज दिया।
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Monday, June 14, 2010
बावड़ी पर स्नानघर
ोधपुर. सरकार पानी बचाने के अभियान पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है और भवन निर्माण स्वीकृतियों में टांके व रीसाइक्लिंग की शर्ते लागू कर रही है लेकिन जोधपुर में जिम्मेदार अफसर आंखें मूंदे हुए हैं। एक बावड़ी पर तकरीबन पूरा स्नानघर बन चुका है और अब वे कह रहे हैं कि जगह के चयन में मनमर्जी की गई।
डीबी स्टार टीम की पड़ताल में सामने आया कि वर्तमान में भी क्षेत्र के प्रमुख जलस्रोत इस बावड़ी के अस्तित्व पर संकट के लिए पैसे विधायक मद से जारी हुए और टेंडर जेडीए ने निकाला। भीतरी शहर में महिलाओं के लिए स्नानघर और शौचालय बनाने के लिए तत्कालीन शहर विधायक सूर्यकांता व्यास ने 2 लाख 47 हजार 641 रुपए अपने विधायक कोटे से जारी किए थे।
इसके बाद 2009 में जेडीए की ओर से जारी टेंडर में साफ लिखा है कि यह निर्माण मोहल्ले की सार्वजनिक और खाली जमीन पर कराया जाए लेकिन वहां तो बावड़ी पर ही ढांचा खड़ा कर दिया गया। पीएचईडी वर्तमान में भी इसका पानी क्षेत्र में सप्लाई कर रहा है। इस निर्माण के बारे में अफसरों से बात की तो वे भी चौंक गए। हालांकि जालप मोहल्ला ट्रस्ट इस निर्माण के पक्ष में है लेकिन क्षेत्र के कई लोग इस निर्माण के खिलाफ हैं। बुजुर्ग कहते हैं कि रियासतकालीन जालप बावड़ी ने कई वर्षो तक क्षेत्रवासियों की प्यास बुझाई है लेकिन अब उसे तबाह किया जा रहा है।
कौन बचाएगा बावड़ी को
क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि यह प्राचीन व पारंपरिक जलस्रोत कुछ लोगों के कारण खतरे में है। क्षेत्र के राजेंद्र बिस्सा, वीणा थानवी, यज्ञदत्त कल्ला, बंशीधर पुरोहित, कैलाश, मनमोहन आदि ने बताया कि बावड़ी पर निर्माण का विरोध कर कई शिकायतें की गईं, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की।
डीबी स्टार टीम की पड़ताल में सामने आया कि वर्तमान में भी क्षेत्र के प्रमुख जलस्रोत इस बावड़ी के अस्तित्व पर संकट के लिए पैसे विधायक मद से जारी हुए और टेंडर जेडीए ने निकाला। भीतरी शहर में महिलाओं के लिए स्नानघर और शौचालय बनाने के लिए तत्कालीन शहर विधायक सूर्यकांता व्यास ने 2 लाख 47 हजार 641 रुपए अपने विधायक कोटे से जारी किए थे।
इसके बाद 2009 में जेडीए की ओर से जारी टेंडर में साफ लिखा है कि यह निर्माण मोहल्ले की सार्वजनिक और खाली जमीन पर कराया जाए लेकिन वहां तो बावड़ी पर ही ढांचा खड़ा कर दिया गया। पीएचईडी वर्तमान में भी इसका पानी क्षेत्र में सप्लाई कर रहा है। इस निर्माण के बारे में अफसरों से बात की तो वे भी चौंक गए। हालांकि जालप मोहल्ला ट्रस्ट इस निर्माण के पक्ष में है लेकिन क्षेत्र के कई लोग इस निर्माण के खिलाफ हैं। बुजुर्ग कहते हैं कि रियासतकालीन जालप बावड़ी ने कई वर्षो तक क्षेत्रवासियों की प्यास बुझाई है लेकिन अब उसे तबाह किया जा रहा है।
कौन बचाएगा बावड़ी को
क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि यह प्राचीन व पारंपरिक जलस्रोत कुछ लोगों के कारण खतरे में है। क्षेत्र के राजेंद्र बिस्सा, वीणा थानवी, यज्ञदत्त कल्ला, बंशीधर पुरोहित, कैलाश, मनमोहन आदि ने बताया कि बावड़ी पर निर्माण का विरोध कर कई शिकायतें की गईं, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की।
दिन में गर्मी, शाम को आंधी के साथ बूंदाबांदी
जोधपुर. संभाग में रविवार को दिन भर चिलचिलाती धूप ने, तो शाम को आंधी ने लोगों को परेशान कर दिया। मारवाड़ के कुछ क्षेत्रों में शाम को आंधी के साथ बौछारें भी गिरीं। जोधपुर शहर में दिनभर गर्मी के बाद शाम को आंधी के साथ बूंदाबांदी हुई। यहां पारा 44.2 डिग्री दर्ज किया गया।
संभाग में 46 डिग्री तापमान के साथ बाड़मेर सर्वाधिक गर्म शहर रहा। माउंट आबू में रविवार को इस सीजन का सबसे गर्म दिन रहा। यहां पारा 2 डिग्री बढ़कर 38 डिग्री पर पहुंच गया। पाली में रविवार सुबह 6 बजे तेज हवा के साथ रिमझिम बारिश हुई। यहां पारा एक डिग्री गिरने से अधिकतम तापमान 44.9 व न्यूनतम तापमान 34.5 डिग्री रिकार्ड किया गया। बाड़मेर में तेज धूप व उमस ने पूरे दिन लोगों को बेचैन रखा। शाम को बादलों की आवाजाही के साथ धूल भरी हवा चलती रही।
यहां तापमान 46 डिग्री दर्ज किया गया। फलौदी में दिन भर गर्मी ने लोगों को झुलसाए रखा। शाम को आंधी के साथ हल्की बूंदाबांदी होने से उमस ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए। यहां अधिकतम तापमान 45.6 डिग्री रहा। ओसियां में दिनभर तेज धूप के कारण अधिकतम तापमान दो डिग्री की बढ़ोतरी के साथ 44.8 डिग्री पर पहुंच गया। हालांकि शाम को 6 बजे हुई बरसात ने मौसम को खुशनुमा बना दिया। जैसलमेर में चिलचिलाती धूप ने धोरों को तपा दिया है। गर्मी ने आमजन के साथ सरहद पर तैनात जवानों को भी खासा परेशान कर रखा है। यहां पारा 1.4 डिग्री बढ़कर 44.7 डिग्री पर पहुंच गया।
तापमान इस प्रकार रहा
बाड़मेर 46.0 व 30.0, फलौदी 45.6 व 31.0, पाली 44.9 व 34.5, ओसियां 44.8 व 30.5, जैसलमेर 44.7 व 28.6, जोधपुर 44.2 व 32.3, माउंट आबू 38.0 व 21.0 डिग्री सेल्सियस।
संभाग में 46 डिग्री तापमान के साथ बाड़मेर सर्वाधिक गर्म शहर रहा। माउंट आबू में रविवार को इस सीजन का सबसे गर्म दिन रहा। यहां पारा 2 डिग्री बढ़कर 38 डिग्री पर पहुंच गया। पाली में रविवार सुबह 6 बजे तेज हवा के साथ रिमझिम बारिश हुई। यहां पारा एक डिग्री गिरने से अधिकतम तापमान 44.9 व न्यूनतम तापमान 34.5 डिग्री रिकार्ड किया गया। बाड़मेर में तेज धूप व उमस ने पूरे दिन लोगों को बेचैन रखा। शाम को बादलों की आवाजाही के साथ धूल भरी हवा चलती रही।
यहां तापमान 46 डिग्री दर्ज किया गया। फलौदी में दिन भर गर्मी ने लोगों को झुलसाए रखा। शाम को आंधी के साथ हल्की बूंदाबांदी होने से उमस ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए। यहां अधिकतम तापमान 45.6 डिग्री रहा। ओसियां में दिनभर तेज धूप के कारण अधिकतम तापमान दो डिग्री की बढ़ोतरी के साथ 44.8 डिग्री पर पहुंच गया। हालांकि शाम को 6 बजे हुई बरसात ने मौसम को खुशनुमा बना दिया। जैसलमेर में चिलचिलाती धूप ने धोरों को तपा दिया है। गर्मी ने आमजन के साथ सरहद पर तैनात जवानों को भी खासा परेशान कर रखा है। यहां पारा 1.4 डिग्री बढ़कर 44.7 डिग्री पर पहुंच गया।
तापमान इस प्रकार रहा
बाड़मेर 46.0 व 30.0, फलौदी 45.6 व 31.0, पाली 44.9 व 34.5, ओसियां 44.8 व 30.5, जैसलमेर 44.7 व 28.6, जोधपुर 44.2 व 32.3, माउंट आबू 38.0 व 21.0 डिग्री सेल्सियस।
हर रूट पर 'कब्जा'
जोधपुर। जोधपुर से चलने वाली रोडवेज बसों के हर रूट पर धडल्ले से निजी बसों की बढती रेलमपेल ने 'समानान्तर रोडवेज' प्रणाली खडी कर दी है। इनमें नियमों की परवाह नहीं करते हुए क्षमता से अधिक सवारियां भरी जाती हैं और धडल्ले से सामान (पार्सल) भी ढोया जा रहा है। आए दिन हादसे हो रहे हैं, लेकिन इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए जिम्मेदार विभागों के अफसर आंखों पर 'चांदी' की पट्टी बांधे बैठे हैं।
जोधपुर जिले में निजी बसों का संचालन साठ के दशक में शुरू हुआ था। रोडवेज के गठन के बाद जिले में प्रमुख मार्गो पर तो रोडवेज की बसें चलने लगीं, लेकिन भोपालगढ जैसे क्षेत्र में राजनीतिक दखल की वजह के रोडवेज की सेवाएं शुरू नहीं हो सकीं। आखिरकार उच्च न्यायालय के निर्देश पर करीब चार साल पहले रोडवेज बसों का संचालन शुरू हो पाया। अब भी जिले के कई दूर-दराज क्षेत्रों पर निजी बसों का ही राज है। परिवहन विभाग ने निजी बसों के लिए प्रति किमी किराया तय कर रखा है। निजी के मुकाबले रोडवेज का किराया कम है, लेकिन जोधपुर से पाली, नागौर, जैसलमेर और बाडमेर के मार्ग पर प्रतिस्पर्द्धा के कारण निजी बस संचालक रोडवेज से कम किराया वसूलते हैं। जोधपुर से संचालित लम्बी दूरी तक चलने वाली निजी बसों में मनमाना किराया वसूला जाता है।
सुविधाओं के नाम पर निजी बसों में यात्रियों के साथ छलावा ही होता है। स्टेट कैरिज की बसों में तो यात्रियों को भेड-बकरियों की तरह ठंूसा जाता है। लम्बी दूरी पर चलनी वाली बसों में यात्रियों को स्टूल पर भी सफर करना पडता है। इन बसों की लापरवाही की वजह से इस साल जनवरी से अब तक दस व्यक्ति काल के ग्रास बन चुके हैं। निजी बस संचालन के कारोबार में जिले के हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है। ग्रामीण अंचल के बेरोजगार युवा इन बसों में चालक, परिचालक और खलासी का काम कर रहे है, तो थोडे शिक्षित बुकिंग पर बैठकर टिकट काटते हैं।
परमिट का खुला उल्लंघन
परिवहन विभाग निजी बस संचालकों को दो तरह के परमिट जारी करता है। जिले में ग्राम पंचायत मुख्यालयों को जोडने वाली बसों को स्टेट कैरेज के परमिट दिए जाते है। अंतरराज्यीय शहर तक जाने वाली बसों को ऑल इंडिया के फ्लिट ऑनर परमिट जारी होते हंै। स्टेट कैरिज परमिट में निर्घारित मार्ग पर ही बसों का संचालन करना होता है, लेकिन प्राइवेट बस वाले नियमों का खुला उल्लंघन कर रोडवेज के हर मार्ग पर बसें चला रहे है। इसके अलावा ऑल इंडिया परमिट की बसों का एक शहर से दूसरे शहर के बीच नॉन स्टॉप संचालन करने की अनुमति है, लेकिन यहां भी नियमों की धçज्ायां उडाकर बीच रास्ते में पडने वाले शहरों की सवारियां चढाई जाती हंै।
सांसद की भी बसें
पाली से सांसद बद्रीराम जाखड की पहले करीब सौ बसें विभिन्न मार्गो पर संचालित होती थीं, लेकिन बसें और परमिट बेचने के कारण इनकी संख्या काफी कम हो गई है। जोधपुर शहर में जाखड की बीआरटीएस बसें संचालित हो रही हंै। पूर्व एआरटीओ जसवंत सिंह भाटी और रोडवेज के पूर्व प्रबंधक मांगीलाल पारासरिया की करीब डेढ दर्जन बसें चल रही हैं।
अफसर परेशान, नहीं होती कार्रवाई
जोधपुर में निजी बसों का कदम-कदम पर आतंक है, लेकिन इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती। दो महीने पहले एक न्यायिक मजिस्ट्रेट ने एक निजी बस संचालक के खिलाफ चालान काटे, तो निजी बस संचालक विरोध पर उतार आए और एक
पुलिस उपनिरीक्षक के साथ मारपीट तक कर डाली। जोधपुर आगार के मुख्य प्रबंधक महावीर प्रसाद दाधीच के मुताबिक रोडवेज के सभी मार्गो पर निजी बसों का संचालन हो रहा है। इनके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार हमारे पास नहीं है। कई बार कहने के बावजूद परिवहन विभाग और पुलिस वाले इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करते।
37 परीक्षा केन्द्र, 36 फीसदी परीक्षार्थी
जोधपुर। रेलवे भर्ती बोर्ड की ओर से रविवार को आयोजित सहायक स्टेशन मास्टर परीक्षा के लिए जोधपुर में बने 37 परीक्षा केन्द्रों पर कुल 36 फीसदी परीक्षार्थी ही उपस्थित हुए। रेलवे में टे्रनों के संचालन की कमान संभालने के लिए युवतियां भी यह परीक्षा देने पहंुची।
कुछ माह पहले पेपर आउट होने के कारण रद्द की गई रेलवे के सहायक स्टेशन मास्टर पद की परीक्षा आज पुन: आयोजित की गई। जोधपुर में 13 हजार 466 अभ्यर्थियों के लिए 37 परीक्षा केन्द्र बनाए गए थे। इन पर 4 हजार 881 अभ्यर्थी ही उपस्थित हुए। कई केंद्रों पर तो कमरों में दो-तीन परीक्षार्थी ही बैठे। कई अभ्यर्थी नया बुलावा पत्र नहीं मिलने के कारण पुराना बुलावा पत्र ही लेकर परीक्षा देने आ गए।
कुछ माह पहले पेपर आउट होने के कारण रद्द की गई रेलवे के सहायक स्टेशन मास्टर पद की परीक्षा आज पुन: आयोजित की गई। जोधपुर में 13 हजार 466 अभ्यर्थियों के लिए 37 परीक्षा केन्द्र बनाए गए थे। इन पर 4 हजार 881 अभ्यर्थी ही उपस्थित हुए। कई केंद्रों पर तो कमरों में दो-तीन परीक्षार्थी ही बैठे। कई अभ्यर्थी नया बुलावा पत्र नहीं मिलने के कारण पुराना बुलावा पत्र ही लेकर परीक्षा देने आ गए।
आदेश ने बढाई 'आफत '
जोधपुर। यातायात प्रबंधन समिति का एक निर्णय रोडवेज के लिए कोढ में खाज साबित होने लगा है। खतरनाक पुलिया की तरफ से भारी वाहनों का रूट बदलने के फरमान से रोडवेज को हर महीने तकरीबन डेढ लाख रूपए का घाटा उठाना पड रहा है।
जोधपुर विकास प्राघिकरण की यातायात प्रबंध समिति ने भैरू चौराहा स्थिति खतरनाक पुलिये के नीचे भारी वाहनों के गुजरने पर हाल ही रोक लगा दी है। इसमें रोडवेज की बसों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। दलील यह दी जा रही है कि ऊपर रखे सामान से वाहन पुलिया में अटक जाते हैं। जबकि रोडवेज अघिकारियों का कहना है कि रोडवेज की ऊंचाई अन्य भारी वाहनों से कम है और ऊपर सामान ही नहीं रखा जाता है। रोडवेज की बसें भी वहां शायद ही कभी अटकी होगी। खास बात तो यह है कि यातायात प्रबंध समिति में रोडवेज के अघिकारी भी बतौर सदस्य शामिल होते हैं। लेकिन उन्होंने भी रोडवेज का पक्ष नहीं रखा।
हर महीने डेढ लाख की चपत
पहले से ही घाटे में चल रहे जोधपुर डिपो के लिए इस निर्णय से वित्तीय मुश्किलें और बढ गई हैं। पूर्व में रोडवेज बसें खतरनाक पुलिया से रेलवे स्टेशन होती हुई 12वीं रोड पहुंचती थी। लेकिन नए आदेशों के बाद रोडवेज को बासनी पुलिए से घूमकर रोटरी चौराहा आना पडता है। इस तरह आने-जाने में 20 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी से रोडवेज को रोजाना पंाच हजार रूपए का डीजल अतिरिक्त जलाना पड रहा है।
यहां भी सौतेला व्यवहार
एक ओर तो रोडवेज को खतरनाक पुलिया के नीचे से गुजरने नहीं दिया जा रहा है। दूसरी ओर रेलवे स्टेशन की ओर भी बसों की आवाजाही पर अस्थाई रोक लगा दी गई है। ऎसे में रेलवे स्टेशन स्थित रोडवेज के बुकिंग सेटर पर यात्री बसों को इंतजार करते रहते हैं। रोडवेज को सवारी नहीं मिलने से वहां भी रोजाना 15 से 20 हजार रूपए का चूना लग रहा है।
जोधपुर विकास प्राघिकरण की यातायात प्रबंध समिति ने भैरू चौराहा स्थिति खतरनाक पुलिये के नीचे भारी वाहनों के गुजरने पर हाल ही रोक लगा दी है। इसमें रोडवेज की बसों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। दलील यह दी जा रही है कि ऊपर रखे सामान से वाहन पुलिया में अटक जाते हैं। जबकि रोडवेज अघिकारियों का कहना है कि रोडवेज की ऊंचाई अन्य भारी वाहनों से कम है और ऊपर सामान ही नहीं रखा जाता है। रोडवेज की बसें भी वहां शायद ही कभी अटकी होगी। खास बात तो यह है कि यातायात प्रबंध समिति में रोडवेज के अघिकारी भी बतौर सदस्य शामिल होते हैं। लेकिन उन्होंने भी रोडवेज का पक्ष नहीं रखा।
हर महीने डेढ लाख की चपत
पहले से ही घाटे में चल रहे जोधपुर डिपो के लिए इस निर्णय से वित्तीय मुश्किलें और बढ गई हैं। पूर्व में रोडवेज बसें खतरनाक पुलिया से रेलवे स्टेशन होती हुई 12वीं रोड पहुंचती थी। लेकिन नए आदेशों के बाद रोडवेज को बासनी पुलिए से घूमकर रोटरी चौराहा आना पडता है। इस तरह आने-जाने में 20 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी से रोडवेज को रोजाना पंाच हजार रूपए का डीजल अतिरिक्त जलाना पड रहा है।
यहां भी सौतेला व्यवहार
एक ओर तो रोडवेज को खतरनाक पुलिया के नीचे से गुजरने नहीं दिया जा रहा है। दूसरी ओर रेलवे स्टेशन की ओर भी बसों की आवाजाही पर अस्थाई रोक लगा दी गई है। ऎसे में रेलवे स्टेशन स्थित रोडवेज के बुकिंग सेटर पर यात्री बसों को इंतजार करते रहते हैं। रोडवेज को सवारी नहीं मिलने से वहां भी रोजाना 15 से 20 हजार रूपए का चूना लग रहा है।
'ठाकुरजी' को कायाकल्प का इंतजार
जोधपुर। शहर के कई प्रमुख मंदिरों पर कई लाख खर्च करने के बावजूद उनकी सूरत नहीं बदल सकी है। अब प्रत्यक्ष प्रभार वाले शहर के तीन प्रमुख 'ठाकुरजी' मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए राज्य सरकार ने देवस्थान विभाग को 25 लाख रूपए की अतिरिक्त राशि दी है। जबकि मंदिरों की स्थिति में सुधार के लिए बनी योजना को मूर्त रूप देने के लिए करीब एक करोड की दरकार है।
गत वित्त वर्ष में शहर के राज रणछोडदास मंदिर पर 29 लाख, उदयमंदिर स्थित रसिक बिहारी पर 18.5 लाख तथा रातानाडा गणेश मंदिर पर 10.5 लाख रूपए सहित कुल 58 लाख रूपए खर्च कर जीर्णोद्धार कार्य किए गए थे। इस राशि से मंदिरों की स्थिति में ज्यादा सुधार नजर नहीं आया। अब सरकार से जो अतिरिक्त राशि मंजूर हुई है, उससे गंगश्यामजी व कुंजबिहारी में पांच-पांच लाख एवं राजरणछोडदास मंदिर में 15 लाख रूपए के विकास व मरम्मत कार्य अगस्त में शुरू होंगे।
एक करोड की दरकार
राजरणछोडदासजी मंदिर कायाकल्प के लिए पांच साल पहले तत्कालीन जिला कलक्टर ने एक करोड की योजना बनाई थी। एक साथ पर्याप्त बजट नहीं मिलने से योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी। मंदिर परिसर में प्राचीन शैली के कलात्मक छज्जे, गुंबद, मेहराब एवं केमिकल कोटिंग जैसे कार्य अधूरे हैं। विभाग की आय बढाने के लिए मंदिर के पीछे भूतल पर दुकानों के निर्माण एवं ओपन थिएटर तथा उद्यान विकसित करने की योजना भी अटकी हुई है।
जल्द शुरू होंगे कार्य
राजरणछोडदास मंदिर परिसर में 15 लाख रूपए की लागत से दुकानों का निर्माण एव भीतरी शहर के गंगश्यामजी व कुंज बिहारी मंदिर में 10 लाख की लागत से मरम्मत कार्य अगस्त के प्रथम सप्ताह तक शुरू हो जाएंगे।
-विजय कोचर, सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग
गत वित्त वर्ष में शहर के राज रणछोडदास मंदिर पर 29 लाख, उदयमंदिर स्थित रसिक बिहारी पर 18.5 लाख तथा रातानाडा गणेश मंदिर पर 10.5 लाख रूपए सहित कुल 58 लाख रूपए खर्च कर जीर्णोद्धार कार्य किए गए थे। इस राशि से मंदिरों की स्थिति में ज्यादा सुधार नजर नहीं आया। अब सरकार से जो अतिरिक्त राशि मंजूर हुई है, उससे गंगश्यामजी व कुंजबिहारी में पांच-पांच लाख एवं राजरणछोडदास मंदिर में 15 लाख रूपए के विकास व मरम्मत कार्य अगस्त में शुरू होंगे।
एक करोड की दरकार
राजरणछोडदासजी मंदिर कायाकल्प के लिए पांच साल पहले तत्कालीन जिला कलक्टर ने एक करोड की योजना बनाई थी। एक साथ पर्याप्त बजट नहीं मिलने से योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी। मंदिर परिसर में प्राचीन शैली के कलात्मक छज्जे, गुंबद, मेहराब एवं केमिकल कोटिंग जैसे कार्य अधूरे हैं। विभाग की आय बढाने के लिए मंदिर के पीछे भूतल पर दुकानों के निर्माण एवं ओपन थिएटर तथा उद्यान विकसित करने की योजना भी अटकी हुई है।
जल्द शुरू होंगे कार्य
राजरणछोडदास मंदिर परिसर में 15 लाख रूपए की लागत से दुकानों का निर्माण एव भीतरी शहर के गंगश्यामजी व कुंज बिहारी मंदिर में 10 लाख की लागत से मरम्मत कार्य अगस्त के प्रथम सप्ताह तक शुरू हो जाएंगे।
-विजय कोचर, सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग
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