जोधपुर। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में श्रमिकों को भुगतान में हो रही देरी की दिक्कत दूर करने को राज्य सरकार ने उपाय तो ढूंढ लिया लेकिन लागू करने से पहले उसमें ही दिक्कत आ गई। सरकार ने तकनीकी दक्ष मेट लगाने के निर्देश दिए थे, जिस पर अब नए सिरे से विचार किया जा रहा है।
इधर आदेश, उधर मनन
महानरेगा के तहत बडी संख्या में काम खाल इन पर बहुत सारे श्रमिक भी लगा दिए गए। नित नए प्रयोग और सरकारी फरमानों से उलझी इस योजना में श्रमिकों को समय पर भुगतान नहीं मिलने के मामले भी बढते गए। श्रमिकों को समय पर भुगतान और कार्योü के पारदर्शी रूप से सत्यापन के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में तकनीकी दक्ष मेट लगाए जाने थे।
इसके लिए बाकायदा कार्यक्रम और दिशा-निर्देश जारी किए गए। साथ ही विकास अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए कि सरकार की मंशा के अनुरूप तकनीकी दक्ष मेट की नियुक्ति और उनके प्रशिक्षण की कार्रवाई की जाए। लेकिन इससे पहले ही सरकार को यह भी अहसास हो गया कि इससे भुगतान का बिगडा ढर्रा भले ही सुधर जाए, लेकिन पहले की व्यवस्था तो कायम रखनी ही पडेगी।
यह है दिक्कत
तकनीकी दक्ष मेट नियुक्त करने के लिए मापदण्ड तय करते हुए सरकार ने कहा था कि सितम्बर 2010 तक इन्हें पूर्ण रूप से दक्ष बना दिया जाए। इनकी नियुक्ति से प्रत्येक कार्य का माप पखवाडा समाप्ति के तीन दिन में होकर श्रमिकों को निर्धारित अवधि में भुगतान मिल जाएगा।
इस बीच, जोधपुर कलक्टर की ओर से तैयार 70 फीसदी अग्रिम भुगतान की योजना पर भी विचार शुरू हो गया है। साथ ही, सरकार को फीडबैक मिला कि दक्ष मेट भले ही माप कर ले, कनिष्ठ अभियंता को तो माप करने जाना ही पडेगा। ऎसे में दक्ष मेट की कवायद का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। सरकार ने फिलहाल इस मामले पर पहले अध्ययन करने की जरूरत बताई है।
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