जोधपुर. जोधपुर में भी कोटा की तर्ज पर दशहरा उत्सव से बड़ी कमाई का ख्वाब लेकर गए नगर निगम के अफसरों व पार्षदों को करारा झटका लगा। यह उत्सव कोटा नगर निगम के लिए मोटी कमाई का सांस्कृतिक उत्सव समिति ने जब कोटा में मनाए जाने वाले इस उत्सव की बेलेंस शीट देखी तो उनकी आंखें फटी रह गई।
डेढ़ पखवाड़े तक चलने वाले दशहरा उत्सव की पर कोटा नगर निगम करीब पौने दो करोड़ रुपए खर्च करता है, लेकिन उसके बदले 60-70 लाख रुपए की ही कमाई होती है। समिति का यह भ्रम भी टूट गया कि कोटा नगर निगम दशहरा उत्सव मोटी कमाई के लिए करता है। अब निगम इस पर पूरी समीक्षा करने के बाद ही कोई फैसला लेगा। हालांकि समिति के सदस्यों व अफसरों ने दावा किया है कि जोधपर में अगर दशहरा उत्सव को कोटा की तर्ज पर मनाया जाता है तो उसे दो करोड़ की आय हो सकती है।
निगम ने वितीय वर्ष में पेश किए गए बजट में इस वर्ष कोटा की तर्ज पर दशहरा उत्सव मनाने की घोषणा की थी। बजट चर्चा में भी यह फैसला इसी तर्ज पर लिया गया था कि कोटा नगर निगम को इससे बड़ी आय होती है। निगम की मंशा के अनुरूप महापौर रामेश्वर दाधीच ने इसके लिए निगम की सांस्कृतिक मेला व उत्सव समिति की अध्यक्ष शुभलक्ष्मी व समिति सदस्यों को कोटा भेजा है।
कमेटी के सदस्यों के साथ आयुक्त शहर जुगल किशोर मीणा व एईएन सुखराम चौधरी भी कोटा गए हैं। सभी ने कोटा नगर निगम मेयर समेत अन्य लोगों से बातचीत की तथा दशहरा मेले की योजना का ले-आउट देखने के बाद सभी व्यवस्थाओं की समीक्षा की, लेकिन जब उत्सव की बेलेंस शीट देखी तो सदस्यों को निराश ही होना पड़ा।
खर्चा पौने दो करोड़, कमाई 60 लाख
कोटा नगर निगम दशहरा उत्सव पर करीब पौने दो करोड़ रुपए खर्च करता है, लेकिन इस उत्सव से उसे सिर्फ 50-60 लाख रुपए की आय ही होती है। बातचीत में यह बात भी सामने आई कि उसे चुंगी पुनर्भरण की राशि से ढाई करोड़ रुपए मिलते है। इसके साथ ही न्यास से भी खूब राशि मिल जाती है।
ऐसे में कोटा नगर निगम इस उत्सव को कमाई के नजरिए से कभी नहीं देखता है। जोधपुर नगर निगम के अधिकारियों की माने तो अब उन्होंने अपना नजरिया शुद्ध व्यावसायिक रखा है। इसके लिए वह शीघ्र ही कार्ययोजना तैयार करेगा। निगम ने वर्ष 2010-11 के बजट में इसके लिए 75 लाख रुपए का व्यय प्रस्तावित किया है।
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