जोधपुर। पश्चिमी राजस्थान में सौर व पवन ऊर्जा की ओर दौड रही नामी कम्पनियों के साथ अब रेलवे ने भी इस क्षेत्र में कदम आगे बढाने शुरू कर दिए हैं। फिलहाल मण्डल रेल प्रबंधक कार्यालय में दस किलो वॉट क्षमता का सोलर पावर प्लांट लगाने की योजना है। इससे रेलवे सालाना करीब डेढ लाख रूपए के बिजली खर्च की बचत करेगा।
क्या है योजना
मण्डल रेल प्रबंधक कार्यालय में बिजली का खर्च ज्यादा है। सालाना कई लाख रूपए का बिल भरने वाले इस कार्यालय में अब सोलर पावर प्लांट लगाया जाएगा। ऑफिस के पिछले हिस्से में इस प्लांट को स्थापित कर एक-दो बडी शाखाओं की विद्युत आपूर्ति इसी से की जाएगी। इस प्लांट को लगाने पर करीब 31.20 लाख रूपए खर्च होंगे।
हर महीने 12 हजार की बचत
शुरूआत में रेलवे को भले ही लाखों रूपए खर्च करने पडे, लेकिन इस प्लांट से रेलवे हर महीने करीब 12 हजार रूपए की बिजली बचाएगा। इस प्लांट के सही रूप में चलने पर प्रति घंटे औसतन दस यूनिट का बिजली उत्पादन होगा। सुबह और शाम रहने वाली हल्की ठण्डक के मद्देनजर दिनभर में इस तरह के प्लांट औसत आठ घंटे ही बेहतर उत्पादन कर पाते हैं। इस हिसाब से रेलवे को प्लांट से प्रतिदिन करीब 80 यूनिट बिजली मिल जाएगी, जिसके लिए उसे अभी डिस्कॉम को करीब 400 रूपए देने पडते हैं।
पवन ऊर्जा पर भी नजर
रेलवे ने जैसलमेर में पवन ऊर्जा संयंत्र लगाकर बिजली उत्पादन करने की भी कवायद की जा रही है। निजी जन सहभागिता (पीपीपी) के साथ रेलवे ने 66.50 करोड की योजना तैयार की है। इस नए काम को हाथ में लेने से पहले रेलवे ने जैसलमेर में आधारभूत काम भी कर लिया है। रेल बजट में 10.5 मेगावाट के इस संयंत्र को मंजूरी देते हुए शुरूआती चरण में एक करोड रूपए का प्रावधान किया गया है।
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