जोधपुर. प्रदेश में जब से कांग्रेस के एक बड़े नेता व केंद्रीय मंत्री के पुत्र की कंपनी जिगित्सा हैल्थकेयर लिमिटेड ने आपातकालीन सेवा 108 का जिम्मा संभाला है, तब से यह सेवा पूरी तरह लड़खड़ा गई है। ज्यादातर कॉल्स पर एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंच पा रही हैं, जिससे लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
आमजन की ओर से लगातार शिकायत किए जाने के बावजूद सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही। जोधपुर संभाग में चल रही 29 एंबुलेंस में से आधी गाड़ियों का नियमित संचालन नहीं हो पा रहा है, वहीं करीब आधा दर्जन एंबुलेंस दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी हैं। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्री वायलार रवि के पुत्र रवि कृष्णा से संबद्ध कंपनी जिगित्सा हैल्थकेयर ने गत 30 जून की मध्यरात्रि के बाद 108 की सेवाओं का जिम्मा संभाला था। तभी से यह सेवा लगातार बद से बदतर होती चली गई।
इसका ताजा उदाहरण गुरुवार शाम को जयपुर के मालवीय नगर में देखने को मिला, जब एक हादसे के एक घंटे बाद एंबुलेंस पहुंची। तब तक घायल की मौत हो चुकी थी। गुस्साई भीड़ ने वहां जमकर तोड़फोड़ की। एक उदाहरण बाड़मेर जिले के बालोतरा कस्बे में पिछले सप्ताह सामने आया, जब आपातकालीन सेवाओं का प्रशिक्षण लिए बगैर वाहन चलाने वाला पायलट गाड़ी को काबू में नहीं रख सका और एंबुलेंस पलटने से ईएमटी व पायलट दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए।
क्षतिग्रस्त एंबुलेंस को ठीक करने के लिए जयपुर भेजा गया है। उल्लेखनीय है कि 108 सेवा का जिम्मा संभालने से करीब दो-तीन माह पहले जिगित्सा तथा राज्य सरकार के बीच करार हुआ था। इतना समय मिलने के बावजूद अब तक कई एंबुलेंस पर ईएमटी तो कहीं पर पायलट नियुक्त नहीं है। जानकारों का कहना है कि राजनीतिक दबाव के चलते स्थानीय चिकित्सा विभाग के आला अधिकारी भी इस निजी कंपनी के इशारों पर काम कर रहे हैं।
कुछ नहीं कह सकता...
मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता, आप किसी अन्य अधिकारी से बात करें। मैं कोलकाता में हूं, बाद में बात करूंगा। - सुमित बासु, स्टेट ऑपरेशन हैड
कहां है गड़बड़झाला
पूर्व में सेवाएं देने वाली कंपनी ईएमआरआई के साथ किए गए करार के अनुसार 25 फीसदी एंबुलेंस आधुनिक उपकरणों (एएलएस) से तथा 75 फीसदी एंबुलेंस बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) से सुसज्जित होनी आवश्यक है, लेकिन नई प्रक्रिया में कंपनी को इस बंधन से मुक्त करते हुए सभी एंबुलेंस को बीएलएस श्रेणी में कर दिया गया। पूर्व सेवा प्रदाता कंपनी के अधीन काम करने वाले कर्मचारियों को नई कंपनी में प्राथमिकता के आधार पर नियुक्त करने की लिखित सहमति के बावजूद सभी कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
इसके चलते 108 की सेवाएं चरमरा गई, लेकिन सरकार इस मामले में कोई हस्तक्षेप तक नहीं कर रही है। नई कंपनी की ओर से कर्मचारियों की नियुक्ति का ठेका सबलेट किया जा रहा है, जो पूर्ण रूप से नियमविरुद्ध है। जिगित्सा हैल्थकेयर की ओर से जिन दो कंपनियों को कर्मचारी नियुक्त करने की जिम्मेदारी सौंपी गई, वे कंपनियां नियुक्ति के लिए निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं कर रही है। यही वजह है कि अधिकांश एंबुलेंस पर लगाए गए कर्मचारियों को आपातकालीन सेवाओं का प्रशिक्षण तक नहीं दिया गया है और इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ा रहा है।
निविदा शर्तो के अनुसार नई कंपनी पर सेवाओं का जिम्मा संभालने के पहले ही दिन से सेवाओं को बाधित नहीं होने देने की बाध्यता रहेगी। इसके अंतर्गत कोई भी इमरजेंसी कॉल नहीं छूटनी चाहिए तथा सभी सेवाएं सुचारू रूप से चलनी चाहिए। लेकिन नई कंपनी ने 15 दिन पहले सेवा अपने हाथ में ली और एक भी दिन पूर्ण रूप से सेवाएं संचालित नहीं हो पाई। सेवा नियमों के अनुसार सेवाएं बाधित होने व सही संचालन नहीं होने की स्थिति में सरकार की ओर से सेवा प्रदाता कंपनी को 15 दिन का नोटिस दिया जाना भी प्रस्तावित है, लेकिन अब तक सरकार ने नई कंपनी को नोटिस भेजने की तैयारी तक नहीं की है।
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