जोधपुर. जोधपुर व जैसलमेर जिले में लगने वाले सौर ऊर्जा संयंत्रों के लिए राज्य सरकार कृषि भूमि की डीएलसी दरों की दस प्रतिशत कीमत पर जमीन आबंटित करेगी। उद्योग विभाग ऐसी जमीन का रूपांतरण भी कृषि दर पर करेगा। जयपुर में बुधवार को सोलर पॉवर प्लांट की जमीन को लेकर हुई बैठक में यह निर्णय किया गया।
जोधपुर जिले में करीब सवा सौ और जैसलमेर जिले में पचास सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए निवेशकों ने आवेदन कर रखा है, लेकिन जोधपुर कलेक्टर ने राजस्व मंत्री को पत्र भेजकर राय मांगी थी कि सौर ऊर्जा संयंत्रों के उद्योग की श्रेणी में होने की वजह से क्या जमीन की कीमत डीएलसी, व्यावसायिक या औद्योगिक दर से वसूली जाए। इसका पता चलने पर निवेशकों ने राज्य में निवेश से हाथ खींचने के संकेत दिए थे।
इस पर पिछले सप्ताह निवेशकों के साथ बैठक कर जमीन दर का विवाद सुलझाने का निर्णय लिया गया था। इसी कड़ी में बुधवार को जयपुर में बैठक हुई। इसमें राजस्व मंत्री के अलावा राजस्व, उद्योग व ऊर्जा विभाग के अधिकारी, अक्षय ऊर्जा निगम के सीएमडी आदि मौजूद थे। राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी ने बताया कि सौर उर्जा संयंत्रों को डीएलसी की दस प्रतिशत दर से जमीन आवंटित की जाएगी। बैठक के मिनट्स के आधार पर जमीन की दर के बारे में एक अधिसूचना जारी होगी।
ड्राफ्ट पॉलिसी के सुझाव पर होगा मंथन
जमीन आबंटन के बाद उद्योग विभाग भी कृषि दर के हिसाब से ही भूमि रूपातंरण शुल्क वसूल करेगा। अक्षय उर्जा निगम ने सोलर एनर्जी की ड्राफ्ट पॉलिसी वेबसाइट पर जारी कर सुझाव मांगे थे। अब उन सुझावों पर विचार-विमर्श कर ड्राफ्ट पॉलिसी को अंतिम रूप दिया जाएगा। पॉलिसी की घोषणा के बाद निवेशकों के साथ बिजली खरीदने के लिए एग्रीमेंट किया जाएगा।
इतनी जमीन की जरूरत
एक मेगावाट क्षमता के सोलर पॉवर प्लांट के लिए ढाई हैक्टेयर यानि बारह बीघा जमीन की जरूरत रहती है। जैसलमेर व जोधपुर में करीब छह हजार मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए एक से पांच मेगावाट के पौने दो सौ पावर प्लांट लगने वाले हैं। इनके लिए जोधपुर व जैसलमेर में करीब 18 हजार हैक्टेयर जमीन आबंटित की जाएगी।
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