जोधपुर. महात्मा गांधी अस्पताल में जोधपुर होलसेल उपभोक्ता भंडार के दवा काउंटर पर हुए बहुचर्चित गड़बड़झाले की तहकीकात तो 1.40 करोड़ रुपए की दवाइयों के बिलों की जांच से शुरू हुई, लेकिन जांच खत्म होते-होते वसूली की राशि सोलह लाख रुपए रह गई।
पिछले तीन वर्षो में दो फार्मासिस्टों द्वारा बिलों में हेराफेरी करने के मामले की जांच तीन माह में पूरी कर उपरिजस्ट्रार अनिल मेहता ने संयुक्त रजिस्ट्रार को यह रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि महात्मा गांधी अस्पताल के काउंटर संख्या तीन पर कार्यरत फार्मासिस्ट नरेंद्र कुमार व मांगीलाल ने अलग-अलग कार्यकाल में दवाइयों की खरीद बिलों की राशि बदल कर भंडार को लाखों के मुनाफे से वंचित कर चपत लगाई है।
दोनों फार्मासिस्टों ने 92 लाख से अधिक की राशि के बिलों में बदलाव किया था। इस हिसाब से भंडार को करीब 15.80 लाख से अधिक की चपत लगी। मामले के खुलासे की शुरूआत में फार्मासिस्टों पर बिलों की पूरी राशि हड़पने के आरोप लगाए गए थे, लेकिन जांच के बाद यह राशि करीब दस फीसदी रह गई।
सुपरवाइजर भी चपेट में : जांच अधिकारी मेहता ने इस मामले में फार्मासिस्टों के अलावा मेडिकल सुपरवाइजर सुमरेसिंह चंपावत, प्रवीण सबलोक व अमिताभ शर्मा को अपने कार्यकाल के दौरान दोषी फार्मासिस्टों के स्टॉक का भौतिक सत्यापन नहीं करने, कंप्यूटर में उपलब्ध विवरण का विश्लेषण नहीं करने का दोषी पाया है। इनके विरुद्ध कठोर अनुशानात्मक कार्रवाई करने की अनुशंषा की गई है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद संयुक्त रजिस्ट्रार (सहकारी समितियां) ने सभी को छह अगस्त को अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं।
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