जोधपुर. थैलीसीमिया पीड़ितों के एचआईवी और एचसीवी जैसे खतरनाक रोगों की चपेट में आने की प्रमुख वजह संक्रमित खून का चढ़ना है। ब्लड बैंकों में गाहे-ब-गाहे संक्रमित खून आता है। वर्तमान पद्धति में इसकी पुख्ता जांच व्यवस्था नहीं है।
एलिजा टेस्ट से केवल उसी रक्त में संक्रमण की पुष्टि हो सकती है, जिसमें एचआईवी, एचसीवी और एचबीवी जैसी बीमारियों के विषाणु परिपक्व होते हैं। तीन से चार सप्ताह से कम समय के ताजा संक्रमण की जांच एलिजा में संभव नहीं है। उम्मेद अस्पताल के ब्लड बैंक में वर्ष 2008 और 09 में विभिन्न माध्यमों से आए 19 हजार से अधिक यूनिट खून में से साढ़े पांच सौ से अधिक यूनिट खून जांच में संक्रमित निकला।
यह आंकड़ा जनवरी में पहली बार थैलीसीमिया पीड़ितों के एचआईवी और एचसीवी से पीड़ित होने के खुलासे के बाद ब्लड बैंक प्रबंधन की ओर से राज्य स्तर पर गठित जांच समिति को उपलब्ध करवाया गया था। खास बात तो यह है कि जब उम्मेद अस्पताल में इतना संक्रमित रक्त आ रहा है तो दूसरे ब्लड बैंकों के क्या हाल होंगे?
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