जोधपुर. शहर में जेडीए ने योजना व गैर योजना क्षेत्रों में आबंटित किए जाने वाले भूखंडों के दाम बढ़ा दिए हैं। दूसरी ओर पिछले पांच सालों में जमीनों की डीएलसी दरें भी 10 गुना तक बढ़ गईं हैं, लेकिन कई इलाकों में जमीन के लाखों रुपए चुकाने के बावजूद मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं।
कई कॉलोनियां बसे तो बरसों बीत गए, लेकिन वहां न तो पानी की लाइन बिछी और न ही सड़कें बनीं। दरअसल अन्य शहरों की तुलना में जोधपुर में पानी की भरपूर उपलब्धता के कारण पिछले पांच-सात सालों में शहर बीस किलोमीटर के दायरे में फैल गया। इसके साथ ही एम्स, आईआईटी और इंटरनेशनल एयरपोर्ट जैसे प्रोजेक्ट आने के कारण जमीनों में निवेश भी बढ़ा। इस वजह से कीमतों में उछाल आया। इसका फायदा उठाकर जिला प्रशासन ने भी डीएलसी दरें दस गुना तक बढ़ा दी। इससे सरकार को तो करोड़ों रुपए की आय हो रही है, ज्यादातर कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं का विस्तार नहीं हुआ।
पाल-पाली रोड
पानी की भरपूर उपलब्धता के कारण बाहरी कॉलोनाइजर्स भी जोधपुर की ओर आकर्षित हुए हैं। पाली रोड व पाल रोड पर नई टाउनशिप व कॉलोनियां बस गईं। पांच सालों में स्थिति यह हो गई कि दस गुना दरों पर भी इन क्षेत्रों में जमीन नहीं मिल रही है। सरकार को रजिस्ट्रियों के माध्यम से करोड़ों रुपए का राजस्व मिल रहा है, मगर शहर के बाहर बसी कई कॉलोनियों में पानी की लाइनें नहीं पहुंची।
एम्स क्षेत्र
काजरी परिसर में एम्स की स्थापना की चर्चाओं के दौरान ही इस क्षेत्र की जमीनों के भाव बढ़ गए थे। एम्स का काम शुरू होने के बाद तो यहां के भाव आसमान पर पहुंच गए। पाली व पाल रोड के बीच स्थित इस एरिया की डीएलसी दरें भी सैकड़ों से हजारों पर पहुंच गई। नहर के पास बासनी औद्योगिक क्षेत्र में आलीशान कॉलोनियां बन गईं, मगर इन कॉलोनियों में सीवरेज तथा संपर्क सड़कें नहीं है।
आईआईटी एरिया
पाली रोड व पाल रोड पर कई कॉलोनियां बनने के कारण जमीनों की कीमतें बढ़ी, तो नागौर रोड के भाव आईआईटी व एअरपोर्ट प्रोजेक्ट ने बढ़ा दिए। इस रोड पर हालात ये हैं कि पीने का पानी भी टैंकरों से मंगवाना पड़ता है। मंडोर रेलवे स्टेशन के आगे तो पानी की लाइन तक नहीं है। इसी तरह जयपुर रोड पर डांगियावास तक निजी इंस्टीट्यूट व कॉलोनियां विकसित हो गई, लेकिन पीने का पानी भी नहीं पंहुचा पाया है।
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