जोधपुर. मथुरादास माथुर अस्पताल में जोधपुर होलसेल उपभोक्ता भंडार के काउंटर नं. तीन पर अनुबंधित फार्मासिस्ट विक्रम देथा द्वारा किए गए गबन के मामले में परत दर परत घोटाला सामने आ रहा है। इस मामले में इतनी अनियमितताएं सामने आई हैं कि भंडार प्रबंधन की कार्यशैली पर ही प्रश्न चिह्न् लग गया है।
देथा को हटाए जाने के बावजूद न केवल उसके नाम बकाया राशि 33 लाख से बढ़ कर 47 लाख से अधिक हो गई, बल्कि उसके नाम क्रय खाते में बिल भी चढ़ा दिए गए। इस मामले में भंडार के उपाध्यक्ष ने महाप्रबंधक पर घोटाले का आरोप लगाया है। उधर, महाप्रबंधक सभी सवालों के जवाब में एक ही बात कह रहे हैं कि जांच करवाने के बाद ही कुछ पता चल पाएगा।
इस मामले में भंडार प्रबंधन ने देथा के परिजनों को पत्र भेज कर 47 लाख 70 हजार से अधिक राशि जमा कराने को कहा है, जबकि इस वर्ष फरवरी में देथा को वहां से हटाने के बाद 28 अप्रैल को भंडार के सुपरवाइजर सुमेरसिंह द्वारा महाप्रबंधकको भेजी गई देथा के दायित्व निर्धारण से जुड़ी रिपोर्ट में यह राशि 33 लाख 15 हजार रुपए बताई गई थी। वहीं देथा को हटाने से करीब एक माह पहले 22 जनवरी को भेजे गए पत्र में स्टॉक में महज सात लाख का अंतर बताया गया था।
गौरतलब है कि काउंटर नं. तीन पर गबन के चलते भंडार प्रबंधन ने देथा को इस वर्ष 13 फरवरी को ही हटा दिया था, लेकिन इसकी आधिकारिक जानकारी एवं जांच के लिए संयुक्त रजिस्ट्रार को सूचना करीब चार माह बाद 9 जून को दी गई। इसके बाद विभागीय अंकेक्षण अधिकारी ने मामले की जांच शुरू की।
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