जोधपुर। यातायात प्रबंधन समिति का एक निर्णय रोडवेज के लिए कोढ में खाज साबित होने लगा है। खतरनाक पुलिया की तरफ से भारी वाहनों का रूट बदलने के फरमान से रोडवेज को हर महीने तकरीबन डेढ लाख रूपए का घाटा उठाना पड रहा है।
जोधपुर विकास प्राघिकरण की यातायात प्रबंध समिति ने भैरू चौराहा स्थिति खतरनाक पुलिये के नीचे भारी वाहनों के गुजरने पर हाल ही रोक लगा दी है। इसमें रोडवेज की बसों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। दलील यह दी जा रही है कि ऊपर रखे सामान से वाहन पुलिया में अटक जाते हैं। जबकि रोडवेज अघिकारियों का कहना है कि रोडवेज की ऊंचाई अन्य भारी वाहनों से कम है और ऊपर सामान ही नहीं रखा जाता है। रोडवेज की बसें भी वहां शायद ही कभी अटकी होगी। खास बात तो यह है कि यातायात प्रबंध समिति में रोडवेज के अघिकारी भी बतौर सदस्य शामिल होते हैं। लेकिन उन्होंने भी रोडवेज का पक्ष नहीं रखा।
हर महीने डेढ लाख की चपत
पहले से ही घाटे में चल रहे जोधपुर डिपो के लिए इस निर्णय से वित्तीय मुश्किलें और बढ गई हैं। पूर्व में रोडवेज बसें खतरनाक पुलिया से रेलवे स्टेशन होती हुई 12वीं रोड पहुंचती थी। लेकिन नए आदेशों के बाद रोडवेज को बासनी पुलिए से घूमकर रोटरी चौराहा आना पडता है। इस तरह आने-जाने में 20 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी से रोडवेज को रोजाना पंाच हजार रूपए का डीजल अतिरिक्त जलाना पड रहा है।
यहां भी सौतेला व्यवहार
एक ओर तो रोडवेज को खतरनाक पुलिया के नीचे से गुजरने नहीं दिया जा रहा है। दूसरी ओर रेलवे स्टेशन की ओर भी बसों की आवाजाही पर अस्थाई रोक लगा दी गई है। ऎसे में रेलवे स्टेशन स्थित रोडवेज के बुकिंग सेटर पर यात्री बसों को इंतजार करते रहते हैं। रोडवेज को सवारी नहीं मिलने से वहां भी रोजाना 15 से 20 हजार रूपए का चूना लग रहा है।
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